कंकाल मालिनी तंत्र | Kankal Malini Tantra PDF
कंकाल मालिनी तंत्र – Kankal Malini Tantra Book Pdf Free Download पुस्तक का एक मशीनी अंश बादावसौ जायते च शब्दब्रह्म सनातनः । वसुजिह्वा कालराच्या रूढाकिन्यलंकृता। विषवीजं श्रुतिमुखं प्र.बं हालाहल प्रिये ॥ॐ॥ १८|। में तीन वर्णों द्वारा गठित है। बसुजिङ्वा अ कार, कालरात्रि उ कार तथा स्वरूपी अनुस्वार से प्रकार गठित है। हे प्रिये ! गह […]
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