आरोग्य मंजरी – Arogya Manjari Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
भाव स्पष्ट है-स्वस्थ वह है जिसके वात, पित, और कफ तीनों दोष समान हो, पाचकाग्नि मंद विषम या अति न हो, शरीर में रस,
रक्त आदि धातुएँ न कम हों न अधिक, मन वाणी आदि शारीरिक तथा मानसिक क्रिया ऐ टीक टोक ह और आत्मा, इन्द्रियों और मन स्वस्थ हों,
यही वास्तव में सच्चा सुखी है। इसके विपरीत जो सर्व साधन संपन्न होकर भी बनावटी आनंद पाने की इच्छा रखता है, दह मानत शास्त्र के अनुसार दुखी है।
पाश्चात्य सभ्यता का सभी बातों में अनुकरण करते हुए हम यह भूल जाते हैं कि वे हमारे आयुर्वेदीय सिद्धांतों की कसौटी पर सुखी सिद्ध नहीं होते।
प्रायः विदेशों के अधिकांश व्यक्ति नींद की गोती लिए बिना सो भी नहीं सकते।
तंबाक, चाव, अफीन, शराब, कोकीन आदि मादक द्रव्यों ने भी आधुनिक समाज को अप्रसन्नात्मेन्द्रिमना:’ का प्रमाणपत्र दे दिया है दुख भुताने के लिए यद्यपि इनका सेवन किया जाता है, पर इससे मानव समाज की दशा चिंतनीय होती जा रही है।
प्रायः नशराई कहा करते हैं कि नशा सेवन से उन्हें प्रसन्नता और संतोष मिलता है, पर यह गप्प है । स्वास्थ्य और दोषों की साम्यायस्या तीन उपस्तम्यां पर आधारित है ये उपस्तम्भ हैं :
आहार, नींद और ब्रह्मचर्य- त्रय उपस्तम्भा आहार स्वप्नो ब्रझचर्यीमिति ॥ इनके प्रति मानव को कभी लापरवाह नहीं होना चाहिए इस विषय में प्रमाद स्वयं मृत्यु के आहान के समान है। इन तीनों उपरतम् का संक्षिप्त ज्ञान प्राप्त काना आवश्यक है।
भोजन में वायु और कल का भी अंतर्भाव है इस विषय में पृथक् पर्यायण लिखा जा चुका है फिर भी ध्यान रखें-शीर वृत्ताभासो रसायनाना श्रेष्ठतम् दूप और घी का सेवन श्रेष्ततम रसायन है नहीं से हमारे शरीर का विकास और पथट होती है।
लेखक | वेदप्रकाश सश्त्री-Vedpakash Sashtri |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 39 |
Pdf साइज़ | 78 MB |
Category | आयुर्वेद(Ayurveda) |
आरोग्य मंजरी – Arogya Manjari Book/Pustak Pdf Free Download