सदाचार का ताबीज – Sadachar Ka Taweez Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
गोजमाका अप्पयन किया है। तुम्हारा क्या गत हो? गया उस काममे लागा माहित!”दरवाग्योिनि कमा “गरागन गह मोजना गया है, एक मुसीबत है। उनके अनुसार कितने उन्ट-फंर करने पड़ेंगे ! कितनी परेशानी होगी ।
सारी परशा उलट-पलट हो जायेगी । जो नया आ गया है उगे यदननेसे नयी-नयी कटिनाश्यां गया सगती है। हम तो कोई रारकीय पाहिए जिगगे विना गुंछ उत्तर हिय अष्टानार मिट जाये ।”
राजा गाय योने-“में भी गही गाहा है। पर गह हो कंजे ? हमारे प्रपितामने तो जादू आता भा; मै यह भी नहीं आता। तुम लोगहीको गाय गांजी।
“गुमा दिन दयारियोने राजा गाना एसके पास किया और ा-“मागज, एकन्दरामें तपसगा करते हुए इन महान् राषकपो कम रेटे याये है।
इन्होंने गिरनार तावीज बनाया है। यह मन्त्रों सिद्ध और उसके प आदमी एकदम सदापारी हो जाता है ।गाने अपने शिदी मे-ने मह तावीज विशाल राशाहो दिया ।
राजाने उसे देखा । योले-“हे साथ, प्रस तावीजके विपयमें मुक्षे विस्तारगे बताओ। इससे आदमी नादाचारी कैसे हो जाता है.”
राधुने समनाया–“महाराव, भरद्टानार और सदापार मनुष्यको आत्मामें होता है। याही नहीं होता। विधाता जय मनुष्यको बनाता है तथा इसकी आत्मामें ईसानकी कलद्र फिट कर देता है और किसोची बात्मामें येईमानीकी । इस फटमें से ईसान या बेईमानोके स्वर निकलते है
जिन्हें ‘आत्माकी पुकार कहते हैं। आत् को पुकार अनुसार ही आदमी काम करता है।
प्रदन यह है कि किसी आत्मा से बैईमानोके स्पर निकलते हैं, उन्हें दबाकर ईमानके स्वर यंने निकाले जायें? में कई वाँसे इसीके चिन्तनमें लगा है। अभी मैंने यह सदाचारका साबीर बनाया है। जिस आदमीफी भुजापर यह वेणा होगा, यह सदाचारी हो जायेगा |
लेखक | हरिशंकर परसाई-Harishankar Parsai |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 158 |
Pdf साइज़ | 2.6 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
सदाचार का ताबीज – Sadachar Ka Taweez Book/Pustak Pdf Free Download