गाँधी वध क्यों – मैंने गाँधी को क्यों मारा नथूराम गोडसे Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
इस कथा पर न्यायमूर्ति कपूर ने विश्वास नहीं किया। उन्होंने एक कारण यह दिया है कि गांधी जी के जीवन को पूर्णत: समाप्त करने का नथूराम का निश्चय उसके वक्तव्य में ही प्रतीत होता है।
उस लिखित निवेदन में उसके मन का जो दृढ़ निश्चय दृष्टिगोचर होता है, उसे ध्यान में रखते हुए, यदि उसको दोपहर में गांधी जी को मारने का अवसर मिला होता तो वह उसको गँवाया, यह बात सम्भवातीत है।
सायंकाल प्रार्थना-स्थल पर उसको व्यामोह नहीं हुआ था, दोपहर को व्यामोह हुआ होगा, ऐसी धारा बनाने के लिए कारण मिलना असम्भव है।
किसी के प्राण लेने के लिए प्रस्थान करने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य के दर्शन के लिए नहीं जाता भले वह लक्ष्य गांधी क्यों न हो।
जैसे नाथूराम ने अपने निवेदन में कहा है,गोली चलाने के पश्चात् आरक्षियों को आत्मसमर्पण करने का उसका निश्चय था, आयोग ने इस बात की उपेक्षा नहीं की है।
खण्ड १ अनुच्छेद, १२ एफ/९१ (५) पृष्ठ २०५), इसलिए श्रीमती मनुबेन की गवाही ‘असिद्ध’, इस वर्ग में गिननी पड़ेगी। अतएव वह स्वीकार्य नहीं है।
गांधी-वध जैसी भीषण घटना के समय नाथूराम के मन की स्थिरता के विषय में न्या० कपूर ने जी अभिप्राय दिया, वही उपरोक्त विवेचन से प्रतीत होता है।
नथूराम का वक्तृत्व कैसा था, विचारों के विवेचन की उनकी पद्धति कैसी थी,जो काम वे हाथ में लेते उसमें उनकी लगन कैसी थी, वादविवाद में पांडित्य कैसा धा,
आदि बातों का विवरण मैं स्वयं भी दे सकता था, क्योंकि उनके वे गुण मैंने स्वयं देखे के वक्तव्य की पुष्टि होती है।
यह मानना होगा कि ५५ करोड़ की संख्या ही मानो हिंदुस्तान की राजनीति में अशुभ-सी रही। इस संख्या पर राष्ट्र की अस्मिता बलि चढ़ी। उस संख्या की वेदी पर कश|
लेखक | नथूराम गोडसे-Nathuram Godse |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 129 |
Pdf साइज़ | 28.4 MB |
Category | इतिहास(History) |
गाँधी वध क्यों नथूराम गोडसे | Gandhi Vadh Kyo Book/Pustak Pdf Free Download