दांपत्य जीवन | Married Life PDF

दांपत्य जीवन – Dampatya Jeevan Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

संख्या पर दृष्टिपात करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस ओर हमने यथेष्ट प्रयत्न नहीं किया है। इस विषय की पुस्तके कम होने के कारण भी यथेष्ट हैं। सब से पहिली बात तो यही कि विषय बड़ा नाजुक है और इस विषय मे जो कुछ लिखा जाय उसके दुरुपयोग की आशङ्का रहती है।

दूसरी बात यह कि विषय गोपनीर समझा जाता है तथा इसकी चर्चा करने में लोगो को सङ्कोच होता है। तीसरी बात यह कि इस विषय के ज्ञान की आवश्य कता लोगो को अनुभव न हुई। जय तक किसी बात की आवश्यकता न दिखे तब तक उसे कौन करेगा ?

लेकिन देश की दिनोंदिन बढ़ती हुई रारीबी, रोगो का कमण आदि ने देश में ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है कि अब लोग इस आवश्यकता को महसूस करने लगे हैं ।इस बात को हम बखूबी स चुके है कि हमार पतन हो रहा है ।

लेकिन अपने उत्थान के लिए दूसरी श्री प्रयत्न करते रहने पर भी हमने अपनी उन्नति के मूल विषय पर ध्यान नहीं दिया। जिस प्रकार इमारत खड़ी करने के लिए नीच पर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है, उसी प्रकार दशोन्नति के लिए अपनी नसल में सुधार करना जरूरी है।

“बार वह उस समय तक नहीं हो सकता, जब तक देश का प्रत्येक शक्ति काम-विधान के सहज ज्ञान से परिचित ष्टि के प्रारम्भ से ही मनुष्य की यह चेष्टा रही है कि वह प्रकृति के रहस्य को समझे, प्रत्येक विषय में अपना ज्ञान बढ़ावे और उस विषय में दक्षता हासिल करें।

केवल स्थूल पदार्थों का ही नहीं, सूक्ष्मतम पदार्थों की ज्ञान-प्राप्ति के लिए भी उसने अथक परिश्रम किया है, और वेद-सरीने ग्रन्थ-रत्र की रचना की है ।

लेखक सुशीला देवी निगम-Sushila Devi Nigam
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 355
Pdf साइज़9.1 MB
Categoryhealth

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