कुरुक्षेत्र रामधारी दिनकर | Kurukshetra Poem PDF
कुरुक्षेत्र कविता – Kurukshetra PDF Free Download रामधारी सिंह दिनकर की कविता कुरुक्षेत्र विश्व-मानव के हृदय निष में मूल हो सकता नहीं द्रोहाग्नि का; चाहता लड़ना नहीं समुदाय है, फैलती लपटें विषैली व्यक्तियों की साँस से । हर युद्ध के पहले द्विधा लड़ती उबलते क्रोध से, हर युद्ध के पहले मनुज है सोचता, क्या शस्त्र […]
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