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लिंग पुराण – Ling Puran Pdf Free Download

लिङ्गमहापुराण का परिचय
हिन्दुओं के धार्मिक साहित्य में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है। जनता श्रद्धापूर्वक पुराणों को सुनती है। महापुराणों की संख्या १८ है। उनके नाम इस प्रकार हैं
- १. ब्रह्ममहापुराण,
- २. पद्यमहापुराण,
- ३. विष्णुमहापुराण,
- ४. शिवमहापुराण,
- ५. भागवतमहापुराण,
- ६. नारदीयमहापु,
- ७. मारकण्डेयमहापुराण,
- ८. अग्निमहापुराण,
- ९. भविष्यमहापुराण,
- १०. ब्रह्मवैवर्त्तमहापुराण,
- ११. लिङ्गमहापुराण,
- १२. वराहमहापुराण,
- १३. स्कंन्द्रमहापुराण,
- १४. वामनमहापुराण,
- १५. कूर्ममहापुराण,
- १६. मस्त्यमहापुराण,
- १७. गरुड़महापुराण,
- 18. ब्रह्माण्ड महापुराण
लिङ्गमहापुराण
उक्त १८ महापुराणों में लिङ्गमहापुराण ग्यारहवाँ महापुराण है। इसमें दो भाग हैं पूर्व भाग और उत्तर भाग पूर्व भाग में १०८ अध्याय हैं और उत्तर भाग में ५५ अध्याय हैं। इस प्रकार दोनों भागों में १६३ अध्याय हैं तथा ग्यारह हजार श्लोक हैं।
कथा लेकर इस लिंग पुराण को बनाया पुराण का परिमाण तो सौ करोड़ श्लोकों का है परन्तु व्यास जी ने संक्षेप में उनको चार लाख श्लोकों में ही कहा है। व्यास जी ने द्वापर के आदि में उसे अलग-अलग अठारह भागों में विभाजित किया है ।
उनमें से यहां लिंग पुराण की संख्या ग्यारह है, ऐसा मैंने व्यास जी से सुना है। उसे मैं आप लोगों से अब संक्षेप में कहता हूँ। इस महापुराण में पहले सृष्टि की रचना प्रधानिक रूप से तथा वैकृतिक रूप से वर्णन की गई है तथा
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और ग्रह्माप्ड के आठ आवरण कहे गये हैं। रजोगुण का आश्रय लेकर शर्व (शिव) की उत्पत्ति भी उसी ब्रह्माण्ड से ही हुई है। विष्णु कहो या कालरुद्र कहो वह उस ब्रह्मण्ड में ही शयन करते हैं।
इसके बाद प्रजापतियों का वर्णन, वाराह भगवान द्वारा पृथ्वी का उद्धार, ब्रह्मा के दिन-रात का परिमाण तथा आयु की गणना बताई है। ब्रह्मा के वर्ष कल्प और युग देवताओं के, मनुष्यों के तथा श्रुथ आदि वर्षों की गणना है।
पित्रीश्वरों के वर्षों का वर्णन, चारों आश्रमों के धर्म संसार की अभिवृद्धि, देवी का अविर्भाव कहा गया है। स्त्री पुरुष के जोड़े के द्वारा ब्रह्मा का सृष्टि विधान, रोदानान्तर के चाद रुद्र के अष्टक का वर्णन ब्रह्मा विष्णु का विवाद, पुनः लिंग रूप से शिव विष्णु के स्थानों
गणना का वर्णन किया गया है। पुनः स्वारोचिष कल्प में दक्ष का पृथ्वी पर पतन, दक्ष का शाप तथा दक्ष का शाप मोचन, कैलाश का वर्णन, चन्द्ररेखा की उत्पत्ति, शिव विवाह की कथा तथा शिव के संध्या वृत्तों की कथा का शुभ वर्णन है।
लेखक | महर्षि वेदव्यास-Maharshi Vedvyas |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 390 |
Pdf साइज़ | 12.5 MB |
Category | Religious |
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