लाज कन्हैयालाल मुंशी | Laaj Novel PDF In Hindi
लाज – Laaj Book/Pustak Pdf Free Download पुस्तक का एक मशीनी अंश विधुमुखी होंठ काटती बोली-‘और वह धर्मराज युधिष्ठिर जिसने नारी को जुए के दांव में लगा दिया। सभी तो संस्कार वश हैं । शिवगौरी क्रोध-भरे स्वर में कहने लगी- ‘सोती हुई पत्नी को छोड़कर चले जाने वाले तथागत गौत्तमबुद्ध भी क्या कम थे ?” …