अतीत के स्वप्न – Atit Ke Swapna Kanaiyalal Munshi Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
‘मैं कहाँ अस्वीकार करती हूँ। देर तो केवल आपकी है। मैरी देर ! क्या चाहती है ?’मीठास से मीनल देवी बोली-मेरा पुत्र एक चक्र राज्य करे, इतना ही चाहती हूँ।चाची! पाटन का अधिपति सदैव एक ही चक्र से राज्य करता है ।
केवल बातों में ! सच देखा जाय तो पाटन के बाहर एक कुत्ता भी उसकी और आँख उठाकर नहीं देग्यता । गर्व से देवपसाद ने कहा-एक चक्र राज्य करना है तो चाची मुझे दडनावक बनाइये । कल ही समस्त भरतवंड को पाटन के अधीन बना दू।
“भरतस्य तो दूर रहा. सोरठ और हालार का क्या होगा ? पर में ही संशय पैठा है। श्र तत् हैं रानी की धूतता का ध्यान आते ही देवप्रसाद सँभला । ‘अत वारही महल पूर्व बावनों शङ्कर मनचाहा र गे तब पाटन) कौन पूछेगा ?
मीनलदेवी की धूनी समझ मुंड पर हाथ फेरते हुए देवप्रसाद बोला आप उन सत्र को सर करना चाहता है। ‘हा, उसके बिना मेरा पुत्र एक चक्र केस राज्य करेगा ?”अथ त रथ महेश्वर क दास यन जाये ! विह से यदल कर पके घर की विध वन नाय !”
नही, राज्य का शत्रु के स्थान पर राज्य के स्तंभ बन । यह करने के लिए अपनी देवस्थान बाप का सिर अपनी सेना आपको दे. मेरे दादा के साथ रद्द फर जिन पशमी यीरों मे ययनो को गुजरात से निकाल बाहर किया उनकी स्वतअता पर कुठाराघात करूँ, क्यों?
मीनलदेवी मौन रहीं । लीलाधर बैच चुपचाप राजा का उपचार कर रहा था । कुछ देर तक सब चुप रों । और इस अधमता एवं द्रोह का पारितोषिक क्या मिलेगा ?’ कटाक्ष करते हुए मंडलेश्वर कुरता से इंसा। मीनल की की शांति से उनकी देखती रही।
लेखक | कन्हैयालाल मुंशी-Kanaiyalal Munshi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 330 |
Pdf साइज़ | 13.7 MB |
Category | उपन्यास(Novel) |
अतीत के स्वप्न – Atit Ke Swapna Book/Pustak Pdf Free Download