लाज कन्हैयालाल मुंशी | Laaj Novel PDF In Hindi

लाज – Laaj Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

विधुमुखी होंठ काटती बोली-‘और वह धर्मराज युधिष्ठिर जिसने नारी को जुए के दांव में लगा दिया। सभी तो संस्कार वश हैं ।

शिवगौरी क्रोध-भरे स्वर में कहने लगी- ‘सोती हुई पत्नी को छोड़कर चले जाने वाले तथागत गौत्तमबुद्ध भी क्या कम थे ?” शशिकला ने ठहाका लगाया-‘बस चुप क्यों हो गई ?

अभी तो सोलह हजार एक सौ आठ स्त्रियों से रमण करने वाला कन्हैया शेष है । वह साक्षात ब्रह्मचारी भगवान् ? पुरुष-निन्दा का कर्य-क्रम और चलता अगर मिस पिरोज का आगमन न होता ।

अलार्म घण्टी बजी और मिस पिरोज का आगमन हुआ । मिस पिरोजा-पायु कोई चालीस वर्ष भुख पर पाउडर के अनेक लेप होठों पर सुर्खी, बाब्ड हेयर, बायें हाथ में पहने हुए कड़े में ठुसा हुआ रूमाल और मटकती चाल ।

साक्षत् पारसी सम्प्रदाय संस्कृति की एक मात्र प्रतीक । ऐसा लगता है जैसे कुमारत्व, नारी स्वतन्त्रता और पुरुष होड़ उनमें कूट-कूट कर भरी है। जीवन कला के लिये है। चाहे वह नग्नता के प्रदर्शन में क्यों ना हो – विश्वास को लेकर उनके बारे में तरह-तरह की चर्चाएँ मिलती है ।

और वे कला को किस रूप में ढालती हैं, इस विषय मैं भी सोग स लेते हैं । उनके माथ ही है, गंगा बहन । एकदम सादगी और भारतीय नारी गौरव की प्रतीक। हंसी और मुस्कान का पिटारा ।

मास्टरनी के नाम से ही प्रसिद्ध है | ‘पंखा पीरोजा बोली-‘मुझे गर्मी जो सता रही है। बाप रे, श्रर आज रात को कन्सर्ट है । ‘ साथ ही उनकी नजर शिवगौरी की ओर घूमी, बोली प्राप आय नहीं जानती ।

आप हैं मिस शशिकला, और- ‘शिवगौरी ने परिचय कराते हुए प्राप्त है पिरोजा। एक नई सदस्य, फिरोजा जैसी कलाकार से मिलकर निश्चित रूप से प्रसन्न होगी और गंगा बहन को आप जानती ही हैं न । आप स्कूल मिस्ट्रेस हैं।’

लेखक कन्हैयालाल मुंशी-Kanaiyalal Munshi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 112
Pdf साइज़5.8 MB
Categoryउपन्यास(Novel)

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