गुजरात के गौरव – Gujarat Ke Gaurav Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
हाथ-में-हाव लिये, हँसते हुए, पथ आते-जाते लोगों की हँसी उड़ाते. हुए दोनों चले जा रहे थे। इनके विचार से के सभी स्त्री-युग्ध पाटण के पोर साथ हो इनके भी दास थे, इनको प्रसन्न करने के लिये ही उन सभी ने जन्म लिया था।
जनता में भी प्राज कुछ-कुछ क्षोभ फैल गया था उदती गप सारे बाजार में फैली थी कि भृगुकच्छ के दुर्ग पाल के पद पर काक के स्थान पर कोई पड़ी आने वाला है। सभी चारों घोर मका प्रोर भय से देख रहे थे।
नेगा के गजानन से तो सभी परिचित थे किन्सु उसके साथ स्वच्छ परिधान धारण किये लड़ प. को देख कर लोग और भी चक्कर मे पड गए । हमीर बैसे तो व्यवहार कुशल था. किन्तु उसने एक विचित नगर के निसहाय स्त्री-पुस्यों के बीच तक- भरा
पकड कर चलने में सरित होने की कोई आवश्यकता नहीं समभी ओर सिष्ट बग के सह ते में जाकर स्त्रियों की मोर पूरने में भी उसे कोई बुराई न दिखाई दी । पाटण या सम्भात में बह ऐसा करने का स्वप्न में भी साहन न कर
सकता था। किन्तु यह तो विचार, पराजित भृगुकच्छ वा । यहां तो हमीर और नेरा दोनों टेड़े-मेढ़े रास्तों से होकर निविप्न साम्बा बृहस्पति के पुराने बाड़े में स्थित पविमुक्तेश्वर मन्दिर के सामने था पहुंचे । प्रातःकाल आम्रभट के आने के समय यहाँ जैसी नीरवता भी वैसी इस समय न थी।
वह मन्दिर प्राचीन, पूजनीय और माननीय था। फलस्वरूप लोगों की हलचल थी और उसके पीछे के कुएं पर कई स्त्रियों पानी भर रही थीं।हमीर और नेरा दोनों ने देवालय में जाकर दर्शन किए और फिर उसके पीछे के चबूतरे पर पानी भरनेवालियों को देखने के लिए बैठ गए ।
लेखक | कन्हैयालाल मुंशी-Kanaiyalal Munshi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 294 |
Pdf साइज़ | 11.9 MB |
Category | प्रेरक(Inspirational) |
गुजरात के गौरव – Gujarat Ke Gaurav Book/Pustak Pdf Free Download