लोपामुद्रा | Lopamudra PDF In Hindi

लोपामुद्रा कनैयालाल मुंशी – Lopamudra Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

पिछले दिन की वह घटना कहीं विश्वरथ गुरु से कह न दें, इस बद से बह कपिला गाय की तरह शान्त हो बोला, ‘जब आपकी आशञा है सब फिर क्या ‘पौर प्रजीगत तुमको पढ़ायेंगे। गुरु ने कहा, “जामो, बड़ना झगड़ना नहीं।’

कहकर मैवावरुण चले गए गुरु के चले जाने तक चारों चुपचाप से रहे । उनके अँलों से पोझल होते ही ऋक्ष ने मुक्का दिखाकर जमदग्नि से कहा-‘बच्चा। घा देख लेना।जमदग्नि उत्तर में हंस पड़ा । उसे इर तो लगता हो नहीं था ।

विश्वरव को पिछले दिन की घबराहट हुई-इसने मुके हो कशो पटक दिया। ऋक्ष का बस पौर सुदास को तिरस्कार पूर्ण इष् देखकर अन्दर-हो-अन्दर वह डर गया, परन्तु अपने गुरु का अनुकरण करते हुए उसने सिर उठाया ।

पाँवं बड़ी-बड़ी बनाकर उनके जैसी शान्त भावाज, निकालने का प्रयत्न करते हुए कहा-‘भरत पौर भूगु किसी से नहीं इरते । कहू तो डाला, परन्तु कहीं भी ऋश या गुदास एक पूँसा न जमा दे, इस भय से उसका हृदय धड़क रहा था।

परन्तु उन्होंने कुछ नहीं किया। इतना ही नहीं, बल्कि यह डरा हुमा-सा दीख पड़ा थोर चुपचाप यहाँ से चला गया । विश्वरथ के माश्चर्य का पार न रहा ? ऐसा क्यों हुआ ? उसने शरीर की तरफ देवा-क्या वह पत्ररा गए ?

जमदग्नि ने पास पाकर विश्वरय की पीठ ठोंकी-शाबाश मामा।’ किस तरह उसने शाबाशी पाई, यह तो वह समझा नहीं, पर उसने ऐसा कुछ किया जिससे कि वह लड़के जमदग्नि के मुके से भी अधिक उससे घबराएं, ऐसा वह समझा वह प्रसन्न हुमा घऔर हँसा ।

सांझ के समय वह पाकेला सुरु की पर्णकुटी के पास अभी हाल में माई हुई कुतिया के सात पिल्लों को देख रहा था| बह सफेद छोटे-छोटे बिलोने जैसे थे। एक दो को छोड़कर अभी उनमें से किसी की पसें भी नहीं खुली थी।

लेखक कन्हैयालाल मुंशी-Kanaiyalal Munshi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 316
Pdf साइज़12.3 MB
Categoryउपन्यास(Novel)

लोपामुद्रा – Lopamudra Book/Pustak Pdf Free Download

1 thought on “लोपामुद्रा | Lopamudra PDF In Hindi”

  1. There are many more books by K M Munshi in Gujarati. If possible, kindly make it available in Gujarati. Specially, Bhagawan Parashuram and Krishnavatar Volume 1 to 7.

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