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समाजशास्त्र बुक इन हिंदी – Sociology Book PDF Free Download

अध्याय – 1
भारतीय समाज एवं संस्कृति एकता और विविधता (Indian Society and Culture: Unity and Diversity)
भारतवर्ष एक विविधता मौसम है।यहां अनेक धर्म, भाषा संस्कृति और प्रजाति के लोग निदास करते । जलवायु जनसंख्या के आधार पर लोगों में अनेक भित्रताएं मिलती हैं
यहीँ हिन्दू, मोर, जैन, ईसाई, इस्लाम और सिया आदियों के सोग रहते हैं । इनमे भी अनेक विवियताएँ भाषा, जनमत्या, प्रजाति और संस्कृति की रष्टि से रच्टिगोचर होती है।
आर्थिक सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत के विभिन्न भागों में विपमताऐं स्पथ दिखाई देती है, किंतु इन विविधताओं के उपरांत भी विभिन्न जातियों,
प्रजातियों और समुदायों में राष्ट्रीय एकता के साधु दर्शन होते हैं। वास्तव में भारत एक संगठित इकाई जहाँ की ृति ैभारतवर्ष मे अनु जीवित है
अपितु बाहर भी, और-मलेरिया से सिर तक, ईरान तबा जफगानिस्तान से प्रशान्त महासागर के बोर्नियो बाली के द्वीपों तक के विशाल भूभाग पर अपनी अमिट छाप छोडे हुए है।
भौगोलिक टि से भी भारत बहुआयामी देश है। भारत के उत्तर में हिमालय, दक्षिण में पठार समुद्र तट, पश्चिम में चार मा रेगिस्तान,
पूर्व में पहाड़ी भाग और मध्य मे मैदानी भाग वहाँ के लोगो के रहन-सहन,खान-पान,रीति-रिवाज सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनैतिक व्यवस्था में विविधता दराति है।
भारतीय संस्कृति की अनेक विशेषताएं हैं जिनके कारण वह मानव-समाज की अमूल्य और अमर निधि है। इन अनेक बताएं और विविधताओं के उपरात भी भारत एक संपत राष्ट्र है।
भारत का एक संविधान है जिसमें विभित्न घर्वो सम्कृतियों भाषाओं और क्षेत्ों के लिए महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित हैं, उनके हितों का ध्यान रखा जाता है।
भारत की विशेषता का परिचय इससे भी होता है कि दक्षिण से उत्तर तक यह एक विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है और पूरे चित्र में हिन्दू मुसलमान, बौद्ध, नेन ईसाई ओर अन्य धर्मानुयायी रहते है।
ये अनुयायी शहर, गाँव, कस्बो आदि में साथ-साथ रहते है, सामाजिक और सास्कृतिक अवसरों पर परस्पर मिलते है और एक-दूसरे की सस्कृति से परिचित होते हैं।
यही नही, प्रशासनिक और सवैधानिक व्यवस्था अनुसार भी ये इस एकता को अक्षुण्ण बनाए हुए है। भौगोलिक दृष्टि से भारत को पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) उत्तर का पर्वतीय प्रदेश, (2) गया-सिन्धु का मैदान, {3) दक्षिण का पठार, {4) राजस्थान का मस्स्ल और (5) समुद्र का तटीय मैदान ।
(1) उतर का पर्वतीय प्रदेश उत्तर में कश्मीर से नेफा तक हिमालय पर्य माताएँ कैली हुई है। पर्वतमालाओं पर अनेक महात्मा तपस्या करते ।
कैलाश पर्वत एवं मानसरोवर झोल सर्वोत्तम छुड़ा भूमि है। बद्रीनाथ, केदारनाथ और कफिक्स यहाँ के प्रचुख ती्थयत है जहाँ हजारो धातु प्रतिवर्ष दर्शनार्थ नाते है
अल्मोड़ा, नैनीताल, दाजीलिग व मसूरी आदि भारत के दर्शनीय स्थित है। चाई पर स्थित होने के कारण ये स्थान बर्फ में आच्छादित रहते हैं,
इस कारण ग्रीष्य प्रातु में पर्यटकों को आकर्षित करते रहते है हिमालय को गंगा, सिन्धु और ब्रह्मपुत्र नदियो का जन्मस्थत माना जाता है।
इस के में अनेक जड़ी-बूटियों व विभिन्न धाद्य-पदार्थ प्रधुर मा में पाए जाते है। अनेक जारातिो- नागा, मारो, मिकर व नोट आदि इन क्षेत्रो में नियास करती है।
(2) गंगा-सिन्धु का मैदान हिमालय से लेकर दक्षिणी पठार के बीच के मैदानी भाग में गया, ब्रह्मपुत्र, सिन्धु और सतलज नदियों बहती है, जिसके कारण यह भाग अत्यधिक उपर वाला है।
यहाँ पर्यात खेती होती है यमुना, चम्बल, नर्मदा और सोन नदियां भी बहुत महत्क्यूर्ण है। इ के राज्यों में कुछ बताया-कृष्ण, काही दादरी और पेरियार महती है
जिन्होंने कृषि की उत्पादकता को बहुत बताया है। यधिक प्याला प्रदेश होने के कारणही बाह्य आक्रमणकारी यही आने के लिए सदैव उत्कठिन रहे ।
लेखक | वीरेन्द्र प्रकाश शर्मा – Viirendra Prakash Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 391 |
PDF साइज़ | 9 MB |
Category | विषय(Subject) |
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