आयुर्वेद सार संग्रह | Baidynath Ayurved Sarsangrah PDF In Hindi

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बैद्यनाथ आयुर्वेद सार संग्रह – Ayurved Sarsangrah PDF Free Download

आयुर्वेद सार संग्रह बैद्यनाथ

आयुर्वेदीय औषधियों के निर्माण, प्रयोग, और गुण-धर्मो का विशद विवेचन

पुस्तक यह भी बताती हैं कि रसायन शास्त्र क्या है, उसके द्वारा क्या कार्य होता है, यन्त्रों की उपयोगिता कहाँ पर होती है उसके द्वारा औषध-निर्माण का सम्पूर्ण विवरण समझाया गया है। अनुपान की व्याख्या मिलती है।

रोग के अनुकूल संकेत हैं जहाँ रत्न प्रकरण आरम्भ किया गया है। इस रस-प्रकरण में रसों की गुणवत्ता, शोधन-मारण, गुण-धर्म एवं प्रयोग विधि की विस्तृत व्याख्या तथा आयुर्वेद एवं यूनानी वैद्यक में प्रयुक्त होने वाली सभी प्राणिज, खनिज एवं उद्भिज्ज द्रव्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है।

पुस्तक यह भी सिद्ध करती है कि आयुर्वेद एवं यूनानी योगों के निर्माण एवं प्रधान गुणों की स्पष्ट व्याख्या करके रोगों में उसका प्रयोग कैसे होता है, इसका भी स्पष्ट उल्लेख है।

अपने इन्हीं गुणों के कारण यह पुस्तक चिकित्सक वर्ग को बहुत अधिक लाभ पहुँचाती है। चिकित्सा जगत् में इसका बहुत महत्व है।

आज सेर, छटांक, तोला, माशा का प्रयोग नहीं होता। वर्तमान में दाशमिक (मीटरिक) मान (तौल) के साथ कार्य होता है जिसका विवरण इस पुस्तक में स्पष्ट किया गया है।

इसके अतिरिक्त पारद-संस्कार, कूपीपक्व रसायन अर्क आदि बनाने के लिए नवीन एवं प्राचीन यंत्रों का उल्लेख किया गया है। आयुर्वेद में प्रयोग होने वाली औषधियों में बहुत सी ऐसी हैं।

जिनका उपयोग विषाक्त होता है। उनका शोधन-परिवर्द्धन करना आवश्यक है। यह बात भी उचित ढंग से समझाई गई है।

यही कारण है कि इस ग्रन्थ को भारत सरकार द्वारा नियुक्त आयुर्वेद फार्माकोपिया कमेटी के विद्वान् सदस्यों ने इसकी गुणवत्ता को समझा और इसे आयुर्वेद फार्माकोपिया ग्रन्थों की सूची में सम्मिलित करने का निश्चय किया है। इसी बात से इसके महत्व को समझा जा सकता है।

सम्पूर्ण ग्रन्थ की भाषा सरल हिन्दी है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है जिससे इस पुस्तक को पढ़ने में किसी को कोई कठिनाई न आने पाये।

सभी वर्ग गहनतापूर्वक अध्ययन कर लें। पाठकों को यह भी ज्ञात होना है कि बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन लिमिटेड ने आयुर्वेद के अन्वेषण हेतु एक महत्वपूर्ण कार्य करने का निश्चय किया है; अन्वेषणालय (Research Institute), प्रयोगशाला (Laboratory) तथा आतुरालय (Hospital) वनस्पति-अन्वेषण के लिए काशी विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्रवेत्ताओं की अध्यक्षता में कार्य आरम्भ हो चुका है।

इन औषधियों का संग्रह करके रखें एक ही औषधि स्थान और जलवायु के भेद से उत्तम, मध्यम और निकृष्ट श्रेणी की होती है। सर्वोत्तम सनाय बंगलोर में पैदा होती है और वह प्रायः सारी की सारी यूरोप में औषध- निर्माण के लिए भेजी जाती है।

जब कि भारत के बाजारों में मध्यम श्रेणी की भी सनाय नहीं मिलती, बल्कि निकृष्ट श्रेणी की सनाय भारतीय चिकित्सकों को मिलती है। फिर लोग शिकायत करते हैं कि आयुर्वेदीय दवाइयाँ अच्छी नहीं होती हैं। जब निकृष्ट श्रेणी की वनस्पति डाली जायेगी, तो उत्तम दवा कैसे बन सकती है ? अतः औषधि-संग्रह करते समय उत्तम श्रेणी की ही वनस्पति-संग्रह करनी चाहिये।

आयुर्वेद की वनस्पति-संग्रह करके .रखने की प्रणाली, जो वर्तमान समय में है, वह दोषपूर्ण है। हम देखते हैं कि वनस्पति के बड़े-बड़े स्टॉकिस्ट-व्यापारी वनस्पतियों को बोरों में भर-भर कर जहाँ-तहाँ लाट (थोक) लगा देते हैं, जिससे वनस्मतियाँ (शीघ्र ही सड़-गल जाती हैं या उनमें घुन फफुन्द लग जाती है।

इस काम को उत्तम रीति से करने का विधान यह है, कि वनस्पति को रखते समय देखना चाहिए, कि वनस्पति (मूल, छाल, फल आदि) अच्छी तरह सूखे हुए हों। गीली या कुछ ही सूखी हुई वनस्पतियों को गोदाम में रख देने से, उसका शीघ्र ही खराब होना निश्चित है। वनस्पति रखने के लिए बोरे नये और स्वच्छ हों। इनमें भरकर अच्छे स्थान में इन्हें रखना चाहिए।

बंगाल, आसाम आदि आनूप देशों के गोदामों की फर्श (जमीन) पक्की, सीमेंट से बनी होनी चाहिए। इस फर्श पर भी सूखी लकड़ी के तळे डालकर वनस्पतियों के बोरे रखंमे ` चाहिए। बिहार, मध्यप्रान्त आदि स्थानों में भी गोदाम पक्के होने चाहिए। राजपूताना, गुजरात,
पंजाब आदि प्रांत में वर्षा कम होती है अतः साधारण गोदामों से भी काम चल सकता है।

इन गोदामों में सूर्य की किरणें जानी चाहिए। यांदे किरणें न जा सकें, तो प्रकाश तो जाना ही चाहिए। जहाँ वर्षा अधिक होती हो वहाँ की गदाम में प्रकाश और हवा का ऐसा प्रबन्ध करना चाहिए जो समय के अनुसार काम देता रहे। वर्ष काल में आद्र (जल मिश्रित) हवा गोदाम में नहीं ‘जानी चाहिए। वर्षा के अलावा अन्य ऋतुओं में वायु का संचार (जाना-आना) गोदाम में होते रहना चाहिए।

लेखक बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 866
PDF साइज़41.2 MB
CategoryAyurved

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