घर का वैध | Ghar Ka Vaidh PDF In Hindi

बड़ा घर का वैध – Bada Ghar Ka Vaidh Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

पहुंचाने वाली हो उसे बिस्कुट ग्रहण न करें शरीर को लान पहुँचाने वानी बालों में सबसे घटिया चीज है कच्ची साग-सब्जी, फल, कच्चा धनाज ।

माग मन्त्री कच्चा खाया जाय तो बहुत ही नानदायक है। मन्त्री सशी याई जा सकती है इसमें विटामिन भी बहुत होते हैं ।

प्रकृति आवश्यकतानुसार उसे पका भी देती है ममक, चीमी, ईकडट धादि जिन पीजी की भी आवश्यकता होती है, प्रकृति पूर्ण रूप से उनमे सन्निहित कर देती है

हमे उमी र्प मे उसे खाना चाहिये तमी हुमे स्वास्थ्य के लिए उत्तम वस्तु प्राप्त हो सकती है पर हम ऐसा नही करते हम उसे पका कर खाते हैं ।

पहले सब्जी को छीलने से सब्जी का सत्यानाश ही हो जाता है। इन दिल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन होते हैं। छीलने के बाद सब्जी को काट कर घी डालते हैं।

इससे बहुत में सब्जी के भीतर के विटामिन पानी के साथ दूर हो जाते है। मत सब्जी के काटने से पहने ही पच्छी प्रकार पो लेनी चाहिये।

इगके वाद पी-तेल गर्म करते हैं उममे मसाले मिर्च, खटाई पादि डालते हैं। धव उम कटी हुई सभी] को उसमे डाल देते हैं ।

थोड़ी देर उसे सब अच्छी तरह इधर-उधर चलाते हैं इससे जो दचे-खुचे विटामिन रह भी गये थे वे भी जल कर रास हो जाते हैं ।

सस्ते ममय हम केवल सब्जी का फोक खाते है उनमे विटामिन वादी हो रह नही जाते । स्वाय माता है यह मिर्च-मसालों का आता है।

घात यदि कच्चे खाने की मु्विधा न भी हो तो सब्जी को धोकर काटें, उबलते पानी मे डालकर टक दें और दस मिनट मे उसे मार दे ।

पानी पर्यटन मात्रा में हो बस सब्जी तैयार है । मुखी सब्जी देर से पचती है । यदि चाहे तो सोडा नमक, नींबू. भुना जीरा ऊपर से डाल । यदि न भी डालें तो दो चार दिन में यही ग्यानी सब्जी पापको प्रति स्वादिष्ट लगने सगी ।

लेखक जगन्नाथ शास्त्री – Jagnnath Shastri
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 252
Pdf साइज़7.5 MB
Categoryआयुर्वेद(Ayurveda)

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