108 उपनिषद तीनों खंड सरल हिंदी भावार्थ सहित – 108 Upanishads Book PDF Free Download
108 उपनिषद की यादी (List Of 108 Upanishad)
इस १०८ उपनिषद् को सरलता के खातिर तीन खंडो में विभाजित किया है
ब्रह्मविद्या खंण्ड
- अथर्वशिर उपनिषद्
- अध्यात्मोपनिषद्
- अवधूतोपनिषद्
- आत्मपूजोपनिषद्
- आत्मबोधोपनिषद्
- कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद्
- नारदपरिव्राजकोपनिषद्
- आत्मोपनिषद्
- आरुण्युपनिषद्
- आश्रमोपनिषद्
- कठरुद्रोपनिषद्
- कुण्डिकोपनिषद्
- कैवल्योपनिषद्
- क्षुरिकोपनिषद्
- जाबालदर्शनोपनिषद्
- जाबालोपनिषद्
- जाबाल्युपनिषद्
- तुरीयातीतोपनिषद्
- द्वयोपनिषद्
- निर्वाणोपनिषद्
- पंच ब्रह्मोपनिषद्
- परब्रह्मोपनिषद्
- परमहंस परिव्राजकोपनिषद्
- परमहंसोपनिषद्
- पैङ्गलोपनिषद्
- ब्रह्मबिन्दूपनिषद्
- ब्रह्मविद्योपनिषद्
- ब्रह्मोपनिषद्
- भिक्षुकोपनिषद्
- मण्डलब्राह्मणोपनिषद्
- महावाक्योपनिषद्
- मैत्रेय्युपनिषद्
- याज्ञवल्क्योपनिषद्
- योगतत्त्वोपनिषद्
- वज्रसूचिकोपनिषद्
- शाट्यायनीयोपनिषद्
- शाण्डिल्योपनिषद्
- शारीरकोपनिषद्
- संन्यासोपनिषद्
- सुबालोपनिषद्
- स्वसंवेद्योपनिषद्
- हंसोपनिषद्
ज्ञानखंड
- अमृतनादोपनिषद्
- ईशावास्योपनिषद्
- एकाक्षरोपनिषद्
- ऐतरेयोपनिषद्
- कठोपनिषद्
- केनोपनिषद्
- गायत्र्युपनिषद्
- छान्दोग्योपनिषद्
- तैत्तिरीयोपनिषद्
- नादबिन्दूपनिषद्
- निरालम्बोपनिषद्
- प्रणवोपनिषद्
- प्रश्नोपनिषद्
- बृहदारण्यकोपनिषद्
- मन्त्रिकोपनिषद्
- माण्डूक्योपनिषद्
- मुण्डकोपनिषद्
- मुद्गलोपनिषद्
- मैत्रायण्युपनिषद्
- शिवसंकल्पोपनिषद्
- शुकरहस्योपनिषद्
- श्वेताश्वतरोपनिषद्
- सर्वसारोपनिषद्
- स्कन्दोपनिषद्
साधनाखंड
- अक्षमालिकोपनिषद्
- अक्ष्युपनिषद्
- अद्वयतारकोपनिषद्
- कलिसंतरणोपनिषद्
- कालाग्निरुद्रोपनिषद्
- कृष्णोपनिषद्
- गणपत्युपनिषद्
- गरुडोपनिषद्
- गायत्री रहस्योपनिषद्
- गोपालपूर्वतापिन्युपनिषद्
- चतुर्वेदोपनिषद्
- चाक्षुषोपनिषद्
- तुलस्युपनिषद्
- त्रिपुरोपनिषद्
- त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद्
- दक्षिणामूर्युपनिषद्
- देव्युपनिषद्
- ध्यानबिन्दूपनिषद्
- नारायणोपनिषद्
- नीलरुद्रोपनिषद्
- नृसिंहपूर्वतापिन्युपनिषद्
- नृसिंहषट्चक्रोपनिषद्
- पाशुपत ब्राह्मणोपनिषद्
- प्राणाग्निहोत्रोपनिषद्
- बवृचोपनिषद्
- भावनोपनिषद्
- शरभोपनिषद्
- सरस्वती रहस्योपनिषद्
- महोपनिषद्
- योगकुण्डल्युपनिषद्
- योगचूडामण्युपनिषद्
- योगराजोपनिषद्
- राधोपनिषद्
- रामपूर्वतापिन्युपनिषद्
- रुद्रहृदयोपनिषद्
- रुद्राक्षजाबालोपनिषद्
- रुद्रोपनिषद्
- लागूलोपनिषद्
- सावित्र्युपनिषद्
- सीतोपनिषद्
- सूर्योपनिषद्
- सौभाग्यलक्ष्म्युपनिषद्
उपनिषद पर महान व्यक्तियों के विचार
‘मैं उपनिषदों को पढ़ता हूँ, तो मेरे आँसू बहने लगते हैं। यह कितना महान ज्ञान है ? हमारे लिए यह आवश्यक है कि उपनिषदों में सन्निहित तेजस्विता को अपने जीवन में विशेष रूप से धारण करें।’
-स्वामी विवेकानंद
‘उपनिषदों को जो भी मूल संस्कृत में पढ़ता है, वह मानव आत्मा और परम सत्य के गुह्य और पवित्र सम्बन्धों को उजागर करने वाले उनके बहुत से उद्गारों के उत्कर्ष काव्य और प्रबल सम्मोहन से मुग्ध हो जाता है और उसमें बहने लगता है।’
-डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
‘चक्षु सम्पन्न व्यक्ति देखेंगे कि भारत का ब्रह्मज्ञान समस्त पृथिवी का धर्म बनने लगा है। प्रातः कालीन सूर्य की अरुणिम किरणों से पूर्व-दिशा आलोकित होने लगी है; परन्तु जब वह सूर्य मध्याह्न गगन में प्रकाशित होगा, तब उस समय उसकी दीप्ति से समग्र भूमण्डल दीप्तिमय हो उठेगा।’
-विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर
‘सारे पृथ्वी मण्डल में मूल उपनिषद् के समान इतना फलोत्पादक और उच्च भावोद्दीपक ग्रन्थ कहीं भी नहीं है। इसने मुझको जीवन में शान्ति प्रदान की है और मरण में भी यह शान्ति देगा।’
-शोपेन हॉवर
‘उपनिषदों के ज्ञान से मुझे अपने जीवन के उत्कर्ष में भारी सहायता मिली है। मैं उनका ऋणी हूँ। ये उपनिषदें आत्मिक उन्नति के लिए विश्व के धार्मिक साहित्य में अत्यन्त सम्मानास्पद रही हैं और आगे भी रहेंगी।’
-प्रो० मैक्समूलर
‘मैंने कुरान, तौरेत, इञ्जील, जबुर आदि ग्रन्थ पढ़े, उनमें ईश्वर सम्बन्धी जो वर्णन है, उनसे मन की प्यास न बुझी। तब हिन्दुओं की ईश्वरीय पुस्तकें पढ़ीं। इनमें से उपनिषदों का ज्ञान ऐसा है, जिससे आत्मा को शाश्वत शांति तथा सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है। हजरतनवी ने भी एक आयत में इन्ही प्राचीन रहस्यमय पुस्तकों के सम्बन्ध में संकेत किया है।’
-दाराशिकोह
लेखक | श्री राम शर्मा-Sri Ram Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 505 |
PDF साइज़ | 80 – 43MB |
Category | All Upanishad |
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- ब्रह्मविद्या खंड PDF(70 MB)
- ज्ञान खंड PDF(80MB)
- साधना खंड PDF(43 MB)
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