सम्पूर्ण हवन रहस्यम – Sampurna Havan Rahasyam Book/Pustak PDF Free Download
पंचगव्य विधिः
एक ताम्रपात्र में गोमूत्र गोबर दूध दधि एवं घी में जल डालकर कुशा से अभिमंत्रित करें। |
गोमूत्र- ॐ गायत्री त्रिष्टुब्जगत्यनुष्टुप्पङ्क्त्यासह । बृहत्त्युष्णिहा ककुप्सूचीभिः शम्यन्तुत्त्वा ।।
मंत्र से कपिला गाय का गोमूत्र लेवें ।।
गोमय–ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षा नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।।
मंत्र से गोवर मिलायें ।।
दूध-ॐ आप्यायस्व समेतु ते विश्वतः सोमवृष्ण्यम् । भवा व्वाजस्य सङ्गथे ।।
मंत्र से दूध को गोमूत्र गोमय में मिलाये ।।
दधि-ॐ दधिक्राब्णोऽअकारिषञ्जिष्णोरश्वस्य वाजिनः सुरभि नो मुखाकरत्प्रण आयू षितारिषत् ।।
मंत्र से दधि मिलावें ।
धृत-ॐ तेजो ऽसि शुक्रमस्यमृतमसि धामनामासि
प्रियं देवानामनाधृष्टं देवयजनमसि से घी लेवें।
कुशोदक-ॐ देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनो र्बाहुभ्यां पूष्णोहस्ताभ्याम् ।।
कुशा से पञ्चगव्य मिलाकर ॐ मंत्र से अभिमंत्रित करें।
॥ रक्षाविधानम् ॥
एक दोने में रक्षा सूत्र पीली सरसों चावल दक्षिणा एवं सुपारी रख कर उसमें से चावल सरसों दश दिशाओं में निम्न श्लोक के क्रम से फेंकता रहे।
ॐ पूर्वे रक्षतु वाराह आग्नेयां गरुड़ध्वजः।
दक्षिणे पद्मनाभस्तु नैऋत्यां मधुसूदनः ।।
पश्चिमें चैव गोविन्दो वायव्यां तु जनार्दनः
उत्तरे श्रीपति रक्षेद्दीशान्यां हि महेश्वरः।।
उर्ध्वं रक्षतु धाता वो ह्यधोऽनन्तश्च रक्षतु ।
अनुक्तमपि यत्स्थानं रक्षत्वीशोममादि धृक् ।।
यजमान को रक्षा सूत्र वांधने का मंत्र
ॐ यदाबन्ध्नन्दाक्षायणा हिरण्य शतानीकाय सुमनस्यमानः ।
तन्म आवध्नामि शतशारदायायुष्माञ्जर दष्टिर्यथासम्।।
येन वद्धो वली राजा दानवेन्द्रो महावलः ।
तेन त्वामनुबन्ध्नामि रक्षे माचल मा चल ।।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 224 |
PDF साइज़ | 28.1 MB |
Category | Religious |
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