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तीन नन्हे खरगोश – Teen Nanhe Khargosh PDF Free Download
नन्हे खरगोश की कहानी
एक समय की बात है कि कहीं किसी जगह तीन नन्हे खरगोश रहते थे. तीनों अपने माता और पिता के साथ ज़मीन के अंदर एक आरामदायक बिल में रहते थे.
एक दिन उनके पिता ने उन्हें बुलाया. “अब तुम बड़े हो गए हो,” उसने कहा. “समय आ गया है कि घर से जाकर तुम बाहर का संसार देखो. लेकिन सबसे पहले अपने लिए एक सुरक्षित बिल खोद लेना. और अगर कभी कोई लोमड़ी आ जाये तो……”
“हमें ज़मीन के अंदर बिल में छिप जाना होगा, ” तीनों ने एक साथ चिल्लाकर कहा.
तीनों नन्हे खरगोशों ने अपने माता-पिता को अलविदा कहा और, दुनिया देखने के लिए, फुदकते हुए घर से चल दिए.
वह बहत निडर और उत्साहित थे. आखिरकार, वह बड़े हो गए थे. जैसा उनसे कहा जाता था वैसा ही करने की अब कोई आवश्यकता नहीं थी. जो उनका मन चाहता, वो करने को वह अब पूरी तरह स्वतंत्र थे.
कुछ समय बाद नन्हे खरगोश को किसी की गंध आई. वह एक लोमड़ी थी जो निकट ही छिप कर बैठी थी. वह बहुत भूखी थी और इस नन्हे खरगोश को पकड़ना चाहती थी.
अगर लोमड़ी आसपास है तो मुझे ज़मीन के अंदर छिप जाना चाहिए, नन्हे खरगोश ने सोचा. लेकिन उसके पास तो सिर्फ अपनी झोंपड़ी थी, और खरगोश के छिपने के लिए लकड़ियों का घर सही जगह नहीं है.
“आज बहुत सुहावना दिन है. घर से बाहर आओ और मेरे साथ खेलो,” चालाक लोमड़ी ने कहा.
“मैं नहीं खेलना चाहता.
“फिर मैं तुम्हें पकड़ लूँगी.”
एक छलांग लगा कर लोमड़ी उस पर झपटी. वह गुर्राई, उसने हर जगह सूँघा, हर जगह टटोला. वह फिर गुर्राई और हर तरफ उसने फिर से सूँघा और टटोला. हद हो गई. खरगोश कहाँ था?
तीसरे खरगोश को एक पल में पता चल गया कि वह कहाँ रहना चाहता था. “इस जगह में एक गहरी, आरामदायक बिल बनाऊँगा उसने कहा, “और जब मेरा घर बन जायेगा तो मैं कुछ भी करने को
स्वतंत्र हो जाऊँगा.”
उसने सारा दिन खुदाई की और सारी रात खुदाई की. खेलने और खाने के लिए उसके पास समय ही न था. अंत में उसने घास और फूस इकट्ठी कर के जमीन के बहुत नीचे अपने लिए एक मुलायम बिस्तर बना लिया.
आखिरकार उसका घर बन कर तैयार हो गया. अपनी बिल के छोटे से मुँह के बीच से खिसकते हुए वह बाहर आया और घास के मैदान में चला गया. प्रसन्नता से वह उछल-कूद करता रहा.
सुनहरी धूप में खेलता रहा. और जो कुछ भी स्वादिष्ट उसे वहाँ मिला वह मज़े से खाता रहा. लेकिन तभी उसे लोमड़ी की गंध आई जो शिकार की तलाश में वहाँ घूम रही थी. लोमड़ी पहले से कहीं ज्यादा भूखी थी.
अगर लोमड़ी आसपास है तो मुझे जमीन के अंदर छिप जाना चाहिए, नन्हे खरगोश ने सोचा और वो तुरंत अपने बिल में घुस गया. खरगोश की बिल छिपने के लिए सबसे उत्तम जगह थी!
“आज बहुत सुहावना दिन है. अपनी बिल से बाहर आओ और मेरे साथ खेलो,” भूखी लोमड़ी ने गुर्रा कर कहा- “अगर मुझे पकड़ सकती हो तो पकड़ लो!” नन्हे खरगोश ने जोर से हँसते हुए कहा.
एक छलांग लगा कर लोमड़ी उस पर झपटी, वह गुर्राई और उसने सूँघा और उसने टटोला और वह फिर गुर्राई और उसने फिर सूँघा…….लेकिन बहुत गुर्राने और सूँघने और टटोलने के बाद भी वह नन्हें खरगोश तक न पहुँच पाई !
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 14 |
PDF साइज़ | 1 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
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