राक्षस और दर्ज़ी कहानिया | Rakshas Aur Darji Hindi PDF

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राक्षस और दर्ज़ी कहानिया – Rakshas Aur Darji Book/Pustak PDF Free Download

राक्षस और दर्ज़ी कहानिया

दर्ज़ी जब तक पुराने और डरावने कब्रिस्तान में पहुंचा तब तक आकाश में अंधेरा छा गया था. अगर दर्जी राल को कब्रिस्तान में ग्रैंड इयूक के लिए नई पतलून सिलेगा तो ड्यूक उसे इनाम में एक सोने से भरा पर्स देगा.

“क्यों, यहाँ तो कोई भूत-प्रेत नहीं है, दर्जी ने खुद को आश्वस्त करने के लिए कहा और फिर अपने काम में लग गया.

वह मुश्किल से यह शब्द कह पाया जब पृथ्वी कांपने लगी. अचानक एक विशाल सिर उसके पीछे जमीन में से ऊपर उठा.

“तुमने क्या मेरे इस बड़े सिर को देखा?” राक्षस ने पूछा, “हाँ, मैं उसे देखा है, लेकिन मुझे अभी यह काम पूरा करना है,” दर्जी ने कांपते हुए जवाब दिया.

पाठक उस गरीब दर्जी की जरूर जय-जयकार करेंगे, जो काम पूरा करने की लगन में, भूत-प्रेत तक से नहीं। डरा. और वे पॉल के शानदार राक्षस के चित्रों से भी खुश होंगे, जो बेहद डरावने हैं.

एक दिन पहले ही गरीब दर्जी को ग्रैंड ड्यूक के महल में बुलाया गया था. “महामहिम, रात होने से पहले तुमसे बोलना चाहते हैं, “

दूत ने कहा. इसलिए दिन ढलने से पहले ही दर्जी महल में हाज़िर हुआ. ग्रैंड ड्यूक ने कहा, “मुझे एक नई पतलून की जरूरत है.

उसे इस कपड़े से काटना, पर यह सुनिश्चित करना कि पतलून सुंदर और आरामदेय हो.” “आपकी इच्छा मेरी आज्ञा है, महाराज,” दर्जी ने जवाब दिया.

ग्रैंड ड्यूक ने सिर हिलाया. “अब ध्यान से मेरी बात सुनो,” उन्होंने कहा. “पर तुम्हें पतलून की सिलाई का काम रात में, पुराने कब्रिस्तान में करना होगा.

फिर, जब मैं वो पतलून पहनूंगा तब मेरी किस्मत चमकेगी यह बात मेरे ज्योतिषी ने मुझे बताई है.” अब हर कोई जानता था कि पुराना कब्रिस्तान भूत-प्रेतों का अड्डा था और अंधेरा होने के बाद वहां अजीबो-गरीब चीजें होती थीं,

लेकिन ग्रैंड ड्यूक के आदेश को कोई भी मना नहीं कर सकता था. “मैं कब्रिस्तान में पतलून की सिलाई करने से नहीं डरूंगा,” दर्जी ने साहसपूर्वक कहा. “ठीक है,” ग्रैंड ड्यूक ने कहा, “और जब तुम लौटोगे तो सोने से भरा यह पर्स तुम्हारा होगा।”

दर्जी ने बैठने के लिए एक पुरानी कब्र का पत्थर चुना. फिर उसने अपनी मोमबत्ती जलाई और पतलून सिलना शुरू की .

उसके हाथ तेज़ी से चल रहे थे और सुई कपड़े के अंदर-बाहर तेज़ी से उड़ रही थी . ” क्यों, इस कब्रिस्तान में तो मुझे कोई भूत-प्रेत नज़र नहीं आया,” दर्जी ने खुद को आश्वस्त करते हुए कहा. “जल्द ही मैं अपना काम पूरा कर लूँगा.

” अभी यह शब्द उसके मुंह से मुश्किल से निकले भी न थे जब उसके आसपास की जमीन ज़ोर – ज़ोर से कांपने

” जल्दी खोलो!” दर्जीचिल्लाया, और फिर वो लकड़ी के बड़े दरवाज़े को ज़ोर – ज़ोर से पीटता रहा . ” खोलो और मुझे अंदर आने दो ! ” दर्जी ने पीछे मुड़कर देखा.

राक्षस ने उसे पकड़ने के लिए अपना एक विशाल हाथ आगे बढ़ाया था . तभी, गेट में से एक दरार खुली और दर्जी तेज़ी से महल के अंदर घुसा .

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 18
PDF साइज़2.2 MB
CategoryComics

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