मेरे गुरुदेव | Mere Gurudev PDF In Hindi

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मेरे गुरुदेव | Mere Gurudev Pdf Free Download

मेरे गुरुदेव

बेबोनों ही चाय महत्वपूर्ण लया गौरंुस्त हैं । पमान] समन्वय. इन दोनों गायों का सागंगरण ा विभण व होगा। पाचारण के लिए इंडियन बितमा सतख है, कसमा ही प्राम के लिए आाध्यात्मिक वगत् है ।

बाच्यालिक राष्य में शाक्य को कुछ चाहता है या जिसकी वह बाबा करता है सथा बो कुछ बीवन को सत्य बगाता है-मह सब उसे इसमें निम पाता है। पाश्चात्य को प्राच्य स्वष्णवृद्धड में ही विवरण करनेवाला दिलता है

तथा प्राच्य भी पा्चात् को बैसा ही देवता है बोर खोपता है कि वह तो केवल निशान बिनाने से ही खेल रहा है बौर बह विचार कर हुँसता है कि बड़े बूढे पुर्प तवा स्त्रियां एक मुट्ठीभर ऐहिक वस्तु के समय में,

बिलको कि बागे-पीछे उन्हें छोड़ना ही पड़ेगा, कितना तिल का ताढ करते हैं। खात्यर्व यह है कि दोनों एक दूसरे को स्मणवृष्टि में विचरण करनेवाले समझते हैं ।

परन्तु प्राच्य बादर्य मानवजाति की उन्नति के लिए उतना ही बावश्यक है जितना कि पाश्चात्य आदर्श–और मैं सोचता हूँ कि बायड अधिक ही मशीनों ने ममुष्य जाति को कमी सुखी नहीं बनाया

बौर न बना सर्फिंग यो हमें इस बात का विश्वास दिलाने का बल कर रहा है, वह यही हमारा यह संसार भ्रमण विभाग की प्रणाली पर बवलम्बित है । बह कहना वर्ष है

कि एक ही मनुष्य प्रत्येक वस्तु का बुद्धिकारी होगा, परन्तु फिर भी एक बच्चे के समान कैसे बनवान है ! बमानवाह एक बच्चा यही सोचता है कि समस्त संसार में बानीय,

बस्तु केवल उसकी गुड़िया ही है। इसी प्रकार एक जाति जो भौतिक शक्ति में श्रेष्ठ है सोचती है कि इस संसार में यदि कोई वस्तु बमूल्य एवं प्राप्त करने योग्य है

एक से पह अग्झा की बात है कि बह इख मेव का पालन अत्यन्त कमी रीति से करे ना बो भारतवर्ध के साहित्य के सुपरिचित है, उन्हें इस बापूर्ण दान के सम्बन्ध में एक सुन्दर पुरानी कणा याद जा जाएगी

महाभारत में पाया कि एक कुटुम्ब का कुटुम्ब एक भिखारी को अपना बन्तिम भोजन देकर लाखों मर गया । यह अतिवयोव्ति नहीं है क्योंकि ऐसी बातें बब भी होती रहती हैं मेरे गुरुदेव के माता-पिता का स्वभाव बहुत कुछ इसी प्रकार का बा।

लेखक स्वामी विवेकानंद-Swami Vivekanand
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 56
Pdf साइज़2.2 MB
Categoryइतिहास(History)

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