भगतसिंह जीवन परिचय – Shahid Bhagat Singh Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
पिता की सभी कोड बह देत में बैठ गया और पौधों की तर विनके अमन के गाने सगा । क्या कर रहे हो देटे,” पिता ने पूछा ? बचूके थो एा हूँ” बालक मे ए बहारे भोलेपन से उत्तर दिया। उस अभी केवल गाई-तीन वर्ष को ही थी।
बन्दूक सन्द का उच्चारण करना भी नहीं पाता था उसे दुक से करते क्या है यह तो बात ही दुसरी बी 1 वही बालक बाद में स्वतन्त्रता के समर सेनानी बाहीर भगतसिंह के नाम से जन-जन के मानव पर सा।
उस दिन मे अपने पिता सरदार विधानसिंह और उनके एक मित्र के साथ खेत कर गए थे, जहाँ नया बर क रहा था।
भगतसिंह ने ग्राम के पौधे रोपे जाते देखे होने की सियले रोपने सगे पर जब पिता ने पृछा दो उतर मिला “बचूके को खा हू ।
दोनों ने बार से एक दूसरे की पोर देला और फिर एक बार नगतसिंह को बढे प्यार के वारा । कुख देर बाद मस्तविह स्वनी टिनके बाही इबुक बोकर उठे और फिर अपने पिता के साथ-साथ बसने सगे।
बालक মगतसिंह बड़ा होकर क्या होने जा रहा है, इसकी पोषणा उसने स्वयं ही कर दी थी। पडकर-सुनकर ग्राश्चर्य होता है कि इतने छोटे बालक ने बंदूक की बात सोची कैसे, जबकि सन्दूक कहना भी उसे नहीं पाया था ।
पर शामद भगवविह के मुख है बन्दर शब्द का निकलना कोई ्होनी बात नहीं थी, क्योंकि कह ब तो उककीो रक में ही मिजा था ।
सदियों से उनका परिवार मपनी बौरता के लिए प्रसिद गा मौर पर किती दो दिनों में अंग्रेजी सरकार के विश्व लडू एवा था 1 इस समकी से एक कहानी है।
लेखक | वीरेंद्र सिंधु-Virendra Sindhu |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 83 |
Pdf साइज़ | 3.6 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
भगतसिंह जीवन परिचय – Shahid Bhagat Singh Biography Book/Pustak PDF Free Download