श्री मालिनीविजयोत्तर तंत्र | Sri Malinivijayottara Tantra PDF

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श्री मालिनीविजयोत्तर तंत्र – Sri Malinivijayottara Tantra Book PDF Free Download

श्री मालिनीविजयोत्तर तंत्र

इदन्ता का स्पन्दन सर्जन नहीं, अपितु अस्फुट सृजन का आभिमुख्य मात्र होता है। चित् या परासं वित् दशा में ‘अहम्’ और ‘इदम्’ अभिन्न होते हैं।

शून्याति शून्य दशा में शक्ति इदन्ता का निषेध कर अहंता में ही विश्रान्त रहती है। वह परम शिव भी अनाश्रित शिव दशा होती है।

जब वही शिव स्वात्म में अभिन्न रूप से अवस्थित विश्व का इच्छा, क्रिया और ज्ञान रूप चित् के उच्छलन से आनन्द को ओर उन्मुख होता है, उस समय उसको शक्तिमान की ओर स्वातन्त्र्यमयी उन्मुखता होती है।

यही शक्ति है। यह परमेश्वर से नित्य अविच्छिन्न तत्व शक्ति संज्ञा से विभूषित होती है । सविद्येश – ( मन्त्र, मन्त्रेश्वर ओर अणु ) । महामाहेश्वर रामेश्वर झा ने विद्येश्वरों को माया मलान्वित माना है।

साथ ही इन्हें सर्वज्ञ भो लिखा है। श्री झा जी के अनुसार एकमात्र माया मल से अन्वित विद्येश्वर हैं। श्री महेश्वरानन्द ने महार्थमन्जरी की कारिका संख्या १० के स्वोपज्ञ भाष्य में यह स्पष्ट शिखा है

‘एक मला: विज्ञानाकलाः किन्तु आगे विद्येश्वरों के सम्बन्ध में भी यह व्यक्त किया है कि, ‘मायोयमात्रानुबन्धादेक मलत्वमेव’ । इस तरह विद्येश्वर और विज्ञानाकल दो ऐसे प्रमाता हैं,

जो मात्र मायोय मल से अन्वित होते हैं। किन्तु इन्हें ‘तत्त्वों’ को श्रेणी में परिगणित नहीं करते । श्रीमहामाहेश्वर अभिनवगुप्त इन्हें ध्वस्त कञ्चुक मानते हैं। “

तत्त्व रूप में शिव और शक्ति के बाद सदाशिव, ईश्वर और सद्विधा हो मान्य हैं। सदाशिव तत्त्व के प्रमाता को मन्त्रमहेश्वर, ईश्वर तत्व के प्रमाता को मन्येश या विद्येश्वर भी मानते हैं।

जिस अवस्था में मलों के क्षोणतार्थ भन्मुख्य की अवस्था होती है, वही अवस्था मन्त्रमाता की होती है। ये सभी परिमित श्रेणी के ऊपर के प्रमाता अर्थात् अपरिमित तत्त्वों के अन्तर्गत माने जाते हैं।

प्रस्तुत मालिनीविजय में मन्त्रमहेश्वर की गणना नहीं की गयी है। उसका कारण यह है कि, मन्त्रमहेश्वर क्षीयमाण मलत्व की अवस्था है।

वहाँ उपादेय भाव का ही अभाव है। इसी तरह उपादेयों में अणुओं की गणना भी यहां महेश्वर ने की है। यह एक विचारणीय बात है। अणु सकल पुरुष माने जाते हैं। अणुत्व दशा में हो साधना द्वारा मलत्रय दाह का अन्तवमर्श सम्भव होता है।

लेखक परमहंस मिश्रा-Paramhansa Mishra
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 460
Pdf साइज़46.9 MB
Categoryज्योतिष(Astrology)

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