कबीर जीवनी | Kabir Jeevani Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
अरबी भाषा में कबीर नाम पड़ा। यह महान बीज लेकर आया था और इसे महान होना था, संयोग से नाम भी महान अर्थात् कबीर पड़ा ।महान पुरुषों एवं महान संतों के प्रति लोगों के हृदय में श्रद्धा होना स्वाभाविक और शुभगुण है
परन्तु मनुष्य इतने ही पर नहीं रुका रहता । वह घद्धातिरेक भी करता है । बह महापुरुषों के जीवन में चमत्कार भी जोड़ता है क्योंकि वह उनके सामने संसार को झुकाना चाहता है।
ब्रह्मलीन मुनि सदगुरु कबीर चरितम् (12/68) में स्वयं लिखते हैं- “चमत्कारं विना कर्चिन्नमते नैव कंचन” अर्थात् चमत्कार के बिना कोई किसी के सामने नहीं भुकता।
प्रायः सभी मत के भक्त अपने इष्ट तथा अपनी ओर संसार को झुकाने के लिए अपने श्रद्धेय पुरुषों के इर्द-गिर्द चमत्कारों का एक गहरा कुहरा तैयार करते हैं।
इस प्रक्रिया में अनुयायियों की भीड़ तो बढ़ जाती है, किन्तु उन मूल पुख्यों के सत्य चेहरे संसार से ओझल हो जाते हैं। राम, कृष्ण, युद्ध, महावीर, ईसा, मुहम्मद, शंकर, कबीर, नानक आदि संसार के सभी महापुरुषों के साथ उनके भक्तों ने यही काम किया है।
जब किसी महापुरुष की उत्पत्ति लौकिक नैतिकता का उलतंपनत करके होती है या उनके जन्मदाता माता-पिता का पता नहीं होता है, तब भक्त जन उनके जन्म-रहस्य पर देवी चमत्कार का परदा डालने का प्रयास करते हैं
मरियम की मंगनी (सगाई) जब यूसुफ बढ़ई से हुई थी, उसके पहले ही उनको गर्भ रह गया था । वही गर्भ ईसा के रूप में पैदा हुआ । तो भक्तों को कहना पड़ा कि ईसा ईश्वर का पुत्र है।
श्रद्धया माँ सीता नवजात शिशु के रूप में जनक को खेत में पड़ी हुई मिली । उनके माता-पिता का पता न था। तो भक्तों को करना पड़ा कि वे देवी थी।
लेखक | अभिलाष दास-Abhilash Das |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 137 |
Pdf साइज़ | 11.4 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
कबीर जीवनी | Kabir Jeevani Book/Pustak Pdf Free Download
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