कबीर दोहावली | Kabir Dohavali PDF In Hindi

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कबीर दोहावली – Kabir Dohavali PDF Free Download

कबीर दोहावली

उजवस पहरे कापडा. पान-सुपरीवाय । एक हरि के नाम बिन. बाँधा यमपुर जाय ॥

उतते कई न आवई. पासू पूर्व धाय । इतने ही सब जात है.मार लदाय सदाय ॥

अवगुन क₹ शराब का, आपा अहमक होय।

मानुष से पशुआ आया, दाम गाँठ से खोय ॥ एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार ।

है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ।

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।

औरन को शीतल करे. आपी शीतल होय ।

कबीरा संग्डति साधु की, जो की भूसी खाय ।

खीर खांड भोजन मिले. लाकर संग न जाय ।

एक ते जान अनन्त अन्य एक हो आय।

एक से परचे अया, एक बाहे समाय | कबीरा गरब न कीजिए,

कबहूँ न हसिये कोय अजहूँ नाव समुद्र में ना जाने का होय ।।

कबीरा कलह अरु कल्पना, सतसंगति से जाय ।

दुख वासे भागा फिरै, सुख में रहे समाय ।। ॥

कबीरा संगति साधु की जित पील की जाय।

दुर्गति दूर वहावति, देवी सुमति बनाय ||

कबीरा संगत साधु की. निष्फल कभी न होय ।

होमी चन्दन बासना, जीमन बहसी कोय ।

को एटा इहि जाल परि कत पुरंग अकुल्याय ।

ज्यों ज्यों सुरङि भज चहा. क्यो त्या उरझात जाय ।।

कबीरा सोया क्या करे उठि न भजे भगवान ।

जम जब पर ने जाएंगे. पहा रहेगा म्यान ||

काह भरोसा देह का बिजस जात न मारहिं ।

सॉस-साँस सुमिरन करो, और यतन का नाहि ॥

काल करे से आज कर, सदहि सात तुत साथ ।

काल काल लू क्या करे काल काल के हाथ ।।

काबा काढा काल पुन, जतन-जतन सो खाया। काया वह ई वस, मर्म न काहूँ पाय ॥

लेखक कबीर-Kabir
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 59
Pdf साइज़1 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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