‘कबीर भजन माला’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Kabir Bhajan Sangrah’ using the download button.
कबीर भजन माला – Kabir Bhajan Sangrah Pdf Free Download
कबीर भजन माला
४ दिवाने मन
दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ ॥ टेक॥
पहिला जनम भूत का पै ही. सात जनम पछिताहौउ ।
कॉटा पर का पानी पैहौ. प्यासन ही मरि जैहौ ॥ १॥
दूजा जनम सुवा का पैहौ, बाग बसेरा लेहौ टूटे पंख मंडराने अधफड प्रान गवेहौ ॥ २ ॥
वाजीगर के बानर होइ हौ, लडकी नाच नचैहौ ऊँच नीच से हाय पसरि हौ. माँगे भीख न पैहौ ॥३॥
तेली के घर बैला होइहो, असिन ढापि ढंपैहौज ।
कोस पचास घरै माँ चलेगी, बाहर होन न पेहौ ॥ १ ॥
पॅचवा जनम ऊँट का पेहौ, विन तोलन वोझ लदेही ।
बैठे से तो उठन न पाही, सूरज स्वरच मरि जैहौ ॥ ५ ॥
धोबी घर गदहा होइहौ, कटी घास नहिं पेंह्रौ ।
लदी लादि आपु चढि बैठे ले घटे पहुंचे ॥ ६ ॥
पंछिन माँ तो कौबा होइहौ, करर करर गुहरैही उडि के जय बैठि मैले थल, गहिरे चोच लगेही ॥ ७ ॥
सत्तनाम की हेरा न कग्हिी मन ही मन पछितैहौउ ।
कहे कबीर सुनो भइ साधो, नरक नसेनी पैहौ
नैया पड़ी मंझधार
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पाठ ॥
साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये ।
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहि ।
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार ॥
मैं अपराधी जन्म को मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार ।
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज ।
जो मैं पूत कपूत हूँ कहाँ पिता की लाज ॥
गुरु बिन कैसे लागे पार ॥
लेखक | कबीर |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 4 |
PDF साइज़ | 126 KB |
Category | काव्य(Poetry) |
कबीर भजन माला निर्गुण PDF
श्रीकबीरभजनमाला चञ्चल मनको वश करनेके लिये गायन आक र्षण विद्या है। अज्ञान जीव मी गीतको सुनकर एकटक ध्यानमग्न होजाते हैं।
श्रवण मनन निदि घ्यासनसे जो मन बडे क्लेशसे वशमें होताहै उसके लिये सङ्गीत बडी तीत्र औषधि है; यही समझकर विरक्त महात्मा भगवद्भजनमें मग्न हो गायनकलासे अपने ही नहीं बल्कि सैकड़ों हजारों श्रोताओंके मनमें भी आकर्षण उत्पन्नकर उन्हें भगवद्भक्त बना देते हैं।
इसलिये साधु महात्मा लोग मदमत्त हस्तीके समान चञ्चल और बलवान् मनको वशमें करनेके लिये नीति, बोध, भगवद्भक्ति, व्यवहार शुद्धि, संसारस्वरूप, जीव और उसका संसार तथा उसके पदार्थोंसे सम्बन्ध, माया और इन्द्रियोंके अधीन हो अज्ञहोदुःख भोगना इत्यादिविषयोंको चेतावनीसे सगुण निर्गुण भजनोंको गाया करते हैं,
उन्हींको सर्वसाधारण लोग गावें,सुनें, सुनावें और विचारें इस आशयसे इन्दौरनिवासी महोपदेशक महन्त शम्भुदासजी कबीरपन्थीने उत्तम उत्तम भजनोंका संग्रह किया है, हमने ‘धन्यवाद पूर्वक आपकी सङ्ग्रहीत इस भजन मालाको संसारमें प्रकाश होनेके निमित्त अपने मुद्रणयन्त्रालयमें मुद्रित किया है ।
Also Read: Kabir Songs PDF In English
कबीर भजन संग्रह – Kabir Bhajan Sangrah Pdf Free Download
Saheeeb bandagi saheb ji
Bram gyan bhakti prakash . Bhajan book