वैदिक काल नोट्स | Complete Notes Of Vedic Period PDF In Hindi

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वैदिक सभ्यता – Vedic Civilization PDF Free Download

वैदिक काल

प्रारम्भिक वैदिक समाज के अध्ययन के प्रमुख स्रोत है

साहित्यिक स्रोत

पुरातात्विक स्रोत

ऋग्वेद की रचना 1500 ई.पू. से 1000 ई.पू. के बीच हुई मानी जाती है।

आय द्वारा रचे गए प्रथम ग्रंथ के रूप में ऋग्वेद का पता चलता है। जिसे विश्य के प्राचीनतम साहित्य होने का गौरव प्राप्त है।

“वेद” शब्द संस्कृत के “विद” धातु से लिया गया है जिसका भावार्थ है “ज्ञान होना”। वेद एक धार्मिक ग्रंथ है। वेदों में प्राथनाओं और मंत्रों का संकलन हैं। चारों वेदों को “संहिता” भी माना जाता है।

वेद

विद (जानना) धातु से निष्पन्न वेद शब्द का अर्थ है – जान

  • त्रिपिटक, कुरान, बाइबिल, की भांति वेद कोई एक धर्म – ग्रंथ नहीं है, अपितु वेद तो जान का वह कोष है, साहित्य का वह भंडार है, जिसका अविभव कई शताब्दियों में तथा ऋषियों की कई पीढ़ियों द्वारा किया गया है।
  • वेद पौरूषेय हैं या अपौरुषेय, विद्वानों ने मतभेद है।
  • वेद अपौरूषेय हैं अथात इसकी रचना किसी मानव द्वारा नहीं हुई है। इसे स्वयं ईश्वर ने रचा है।

वेदों के मंत्री के साथ जिन कतिपय ऋषियों का नमोल्लेख है ये इसके रचयिता नहीं बल्कि एप्टा है।

• विभिन्न ऋषियों ने वेदों में आए मंत्रों की रचना की है।

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, शतपय वृहटण्यकोपनिषद, आदि में उल्लेख मिलता है कि चारों बंद उस परमपिता से प्राप्त हुए हैं।

• रुग्वेद और यजुर्वेद का कथन है कि उस विराट पुरुष से कोक, यजु नाम और उट (अथर्ववेद) उत्पन्न हुए।

ऋग्वेद के प्रमुख सुक्त

  1. .पुरुष सूक्त
  2. नारदीय सुक्त
  3. हिरण्यगर्भ सुक्त
  4. अस्य वामिय सुक्त
  5. श्रद्धा सुक्त
  6. वाक् सुक्त
  7. संज्ञान सुक्त
  8. दान स्तुति सुत
  9. अक्षसुक्त
  10. विवाह सुक्त
  11. आख्यान एवं संवाद सुक्त

पुरातात्विक स्रोत

भगवानपुरा से 13 कमरों के एक मकान का अवशेष मिला है।

• पंजाब के कुछ स्थलों नागर, कटपालन, दधेरी से भी वैदिक काल के अवशेष मिले हैं।

  • बोगजकोई अभिलेख(1400ई.पू.)/ मिलनी अभिलेख -यह अभिलेख सीरिया से प्राप्त हुआ है। इस अभिलेख में हिती राजा सुब्बिलिम्मा और मितन्नी राजा मतिऊअजा के बीच एक संधि में 4 वैदिक देवताओं को साक्षी माना गया है- इंद्र, मित्र, वरुण, नासत्य (अश्विन), (इन वैदिक देवताओं का क्रम इसी प्रकार से बोगजकोई अभिलेख पर है।)

• कस्सी अभिलेख(1600ई.पू.)- यह अभिलेख ईराक से मिला है। इस अभिलेख में आर्यों की एक शाखा ईरान आई जबकि एक शाखा भारत की ओर बढ़ी।

• याकोबी एवं तिलक ने यहादि सम्बन्धी उद्धरणों के आधार पर भारत में आर्यों का आगमन 4000 ई० पू० निर्धारित किया है।

मैक्समूलर का अनुमान है कि ऋग्वेद काल 1200 ई० पू० से 1000 ई० पू० तक है। चारों वेदों में ऋग्वेद सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं आदरणीय माना जाता है।

महर्षि पतंजलि ने महाभाष्य में ऋग्वेद की 21 शाखाओं का उल्लेख किया है जिसमें से केवल 5 शाखाओं का उल्लेख प्राप्त होता है- शाकाल, वाकल आश्वलायन शाखायन मांडुकायन ऋग्वेद की केवल शाकल शाखा ही सम्पूर्ण रूप में उपलब्ध होती है, वहीं प्रचलन में है। शाकल शाखा में (1017 सूक्त है।

आर्यों का मूल निवास

आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे, यह भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद प्रश्न है। इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए मत संक्षेप में निम्नलिखित है।

सर्वप्रथम जी रोड ने 1820 में ईरानी ग्रन्थ जेन्दा- अवेस्ता के आधार पर आयों को बैक्ट्रिया का मूल निवासी माना।

1859 में प्रसिद्ध जर्मन विदवान मैक्समूलर ने मध्य एशिया को आय का आदि देश घोषित किया।

प्रोफेसर सेलस तथा एडवर्ड मेयर ने भी एशिया को हीआदि देश स्वीकार किया है। ओल्डेनबर्ग एवं की का भी यही मत है।

डा. अविनाश चन्द्र ने सप्त सैन्धव प्रदेश को आय का मूल निवास स्थान माना।

गंगानाथ झा के अनुसार आयों का आदि देश भारतवर्ष का ब्रह्मर्षि देश था।

• ए० डी० कल्लू ने कश्मीर, डी० एस० त्रिदेव ने मुल्तान के देविका प्रदेश तथा डा० राजबली पाण्डेय ने मध्य प्रदेश को आय का आदि देश माना है।

दयानंद सरस्वती ने तिब्बत को आर्यों का मूल निवास स्थान माना, बाल गंगाधर तिलक के अनुसार आर्यों का आदि देश उत्तरी ध्रुव था।

यूरोप जातीय विशेषताओं के आधार पर मेनका, हर्ट आदि विद्वानों ने जर्मनी को आयों का आदि देश स्वीकार किया है।

गाइल्स ने आयों का आदि देश हगरी अथवा डेन्यूब घाटी को माना है।

मेयर, पौक, गार्डन चाइल्ड, पिगट, नेहरिंग, बैण्डेस्टीन ने दक्षिणी रूस को आर्यों का मूल निवास स्थान माना है।

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भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 22
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