राजस्थान सरकार मास्टर प्लान | Udaipur Master Plan 1997-2022 PDF In Hindi

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राजस्थान सरकार मास्टर प्लान – Udaipur Master Plan 1997-2022 PDF Free Download

राजस्थान सरकार मास्टर प्लान

उदयपुर। वर्ष 2031 तक के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान में शामिल कामों के लिए प्रस्तावित जमीन यूआईटी के हाथ में नहीं है। ऐसे में इनकी क्रियान्विति मुश्किल है।

इसके लिए यूआईटी को पहले जमीन अवाप्त करनी पड़ेगी।

इसकी वजह यह है कि वर्ष 2022 तक के प्लान में शामिल काम भी जमीनों के अभाव में अब तक सिर्फ पांच प्रतिशत ही (आवासीय योजनाओं को छोड़कर) हो पाए हैं।

हकीकत यह है कि दस साल पहले बने मास्टर प्लान में भी शहर से कलेक्ट्री, जेल, पुलिस लाइन सहित तमाम सरकारी-अद्र्ध सरकारी कार्यालयों व जनसुविधाओं के लिए नई जगह निर्धारित की गई थी, लेकिन जमीन अवाप्त नहीं होने से वर्तमान में सभी कार्यालय वहीं संचालित हो रहे हैं जहां सालों से हैं। जन सुविधाएं भी विकसित नहीं हो सकी।

2022 के प्लान में क्या था

इस प्लान में भी आवासीय योजनाओं के अलावा कलेक्ट्री, जेल, पुलिस लाइन, कोर्ट को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाने का प्रावधान था। इसमें अस्पताल, शैक्षिक संस्थाओं, औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाना शामिल था।


दस सालों में हुआ क्या

दस साल पहले बने इस मास्टर प्लान के तहत किए जाने वाले काम जमीनों के अभाव में अटक गए। कोई भी सरकारी कार्यालय शहर से बाहर शिफ्ट नहीं हुए। आवासीय योजनाओं का विकास भी बिल्डरों द्वारा किए जाने से हो सका।


नए मास्टर प्लान में क्या खास प्रावधान

फोकस एरिया दक्षिणी विस्तार क्च दक्षिणी विस्तार में सर्वाधिक विकास की संभावनाएं बताई गई हैं। इसकी वजह यह है कि यूआईटी दक्षिणी विस्तार में आवासीय व व्यावसायिक योजनाएं पहले से बना चुकी है। इस क्षेत्र में टिंबर, पत्थर मार्केट, आयरन व स्क्रेप मार्केट के लिए यहां जगह का प्रावधान किया गया है। इसके लिए 150 एकड़ जमीन प्रस्तावित की है।


औद्योगिक क्षेत्र

उमरड़ा औद्योगिक क्षेत्र में 124 एकड़ व गुडली में 62.2 एकड़ जमीन भंडारण व गोदाम के लिए आरक्षित की है। इन क्षेत्रों में पहले से औद्योगिक विकास हो रहा है।

राजस्थान औद्योगिक एवं विनियोजन नियम द्वारा कलड़वास में 1115 एकड़ क्षेत्र में नवीन औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है।


शैक्षिक संस्थान
शैक्षणिक संस्थानों के लिए उमरड़ा ग्रोथ सेंटर में 271 एकड़ व गुडली ग्रोथ सेंटर में 1032 एकड़ जमीन प्रस्तावित की है।

पांच जिला केंद्र
शहर के चारों ओर पांच जिला केंद्रों का प्रावधान किया गया है। इसमें थोक व्यापार, भंडारण, गोदाम, विशिष्ट व्यापारिक केंद्र, कृषि उपज मंडी, फल एवं सब्जी मंडी, मार्बल व भवन निर्माण सामग्री के लिए 1366 एकड़ क्षेत्र प्रस्तावित की है।

सरकारी कार्यालय क्च बड़ी रोड पर 67 एकड़, ट्राइबल यूनिवर्सिटी (दक्षिणी विस्तार में) के पास 176, भुवाणा बाईपास पर 77.57 एकड़ भूमि सरकारी व अद्र्ध सरकारी कार्यालयों के लिए प्रस्तावित की है।


पर्यावरण संरक्षण
जलाशयों के आसपास 50 मीटर क्षेत्र को उद्यान व खुले स्थल के रूप में रखना। ञ्च नेशनल हाइवे के सहारे 30 मीटर की पट्टी में पौध रोपण। ञ्च ईंट भट्टों को बाहर स्थानांतरित करना।

छह बस स्टैंड
नाथद्वारा रोड, अहमदाबाद रोड, जयसमंद रोड, चित्तौड़ रोड व सीसारमा रोड पर बस स्टैंड प्रस्तावित है। देबारी में रेती स्टैंड।


मेडिकल एंड हेल्थ
उमरड़ा में 15 एकड़ में सरकारी अस्पताल, देबारी काया बाईपास पर आयुर्वेदिक, होम्योपेथिक के लिए 114 एकड़ जमीन प्रस्तावित की है।


बिना नाखून व दांत वाले शेर के समान होता है मास्टर प्लान

मास्टर प्लान बिना नाखून व दांत वाले शेर के समान है, जो सिर्फ नाम मात्र का होता है। यही स्थिति पुराने मास्टर प्लान की भी होकर रह गई है। मास्टर प्लान एक तरह से भू व्यवसायियों के लिए बनकर रह जाता है।

जनसुविधाओं के प्रस्तावों का क्रियान्वयन ही नहीं हो पाता। भू व्यवसायियों ने जमीन कनवर्ट करवा कर प्लाट काट दिए। इस कारण आवासीय योजनाएं प्रस्तावित की उसका 90 फीसदी क्रियान्वयन हो गया, मगर अन्य जो प्रस्ताव शामिल किए उनमें से 5 फीसदी काम भी नहीं हुए।

यूआईटी के पास जमीन ही नहीं है कि मास्टर प्लान में शामिल प्रस्ताव क्रियांवित हो सके।


सुझाव

गुजरात की तर्ज पर लैंड पुलिंग योजना के तहत जमीन अवाप्त होनी चाहिए। इसमें कुल जमीन का आधा खातेदार को दे दिया जाए और आधा हिस्सा योजना क्रियांवित के लिए यूआईटी अपने पास रख ले।

जब तक इकट्ठी जमीन नहीं आएगी प्रस्ताव क्रियांवित नहीं हो सकेंगे। वर्ष 2022 तक के जो मास्टर प्लान बना उसमें आवासीय योजना के अलावा अन्य प्रस्तावों को कोई क्रियान्वयन नहीं हो सका।


भावी जरूरतों को ध्यान में रखा गया है
॥मास्टर प्लान उदयपुर की भावी जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। पर्यटन को बढ़ावा मिले साथ ही झील क्षेत्र सुरक्षित रहे इस बात का भी ध्यान रखा गया है। मास्टर प्लान तैयार हुआ है तो उसका क्रियान्वयन भी हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा।
एनके खरे, चीफ टाउन प्लानर, जयपुर।

लोग अच्छे सुझाव जरूर दें : चेयरमैन
॥ड्राफ्ट मास्टर प्लान जारी किया है। लोगों को जागरूक होकर सुझाव देने चाहिए। कोई आपत्ति है तो वह भी देनी चाहिए। समग्र रूप लिए मास्टर प्लान बने और ऐसे प्रस्ताव शामिल हो जिनका क्रियान्वयन भी हो सके। इसके लिए सभी की पहल जरूरी है।
रूपकुमार खुराना, यूआईटी चेयरमैन।


500 मीटर के दायरे से मुश्किलें बढ़ेंगी
झील संवर्धन एवं झील विकास समिति के सदस्य प्रो. महेश शर्मा का मानना है कि झीलों व तालाबों के आसपास 500 मीटर का दायरा निर्माण निषेध करने से लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएगी।

200 मीटर दायरे में निर्माण निषेध क्षेत्र होने से लोग परेशान हो रहे हैं।

इसके लिए यूआईटी व नगर निगम को एसएलपी दायर करनी पड़ी है। ये नियम सिर्फ डूब क्षेत्र व कृषि भूमि पर ही लागू होने चाहिए। यूआईटी सचिव ने भी सहमति जताते हुए सुधार का आश्वासन दिया है।

शर्मा ने प्लान में कई खामियां भी बताई, जिसमें सीवरेज लाइन, पीने के पानी, आयड़ नदी से संबंधित है। इस मुद्दे को लेकर मेयर रजनी डांगी ने भी सवाल उठाया।

भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 109
PDF साइज़6.70 MB
CategoryGovernments
Source/Creditsurban.rajasthan.gov.in

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