भारतीय दंड संहिता कानूनी धारा 1860 – IPC Sections List Hindi PDF Free Download

भारतीय दण्ड संहिता 1860
अध्याय 1: प्रस्तावना
उद्देशिका – 2 [भारत] के लिए एक साधारण दण्ड संहिता का उपबंध करना समीचीन है, अत: यह निम्नलिखित रूप में अधिनियमित किया जाता है :
- संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा, और इसका [विस्तार 4 [जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय] सम्पूर्ण भारत पर होगा ] ।
- भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड- हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह [भारत] *** के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।
- भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अफराधों का दण्ड– [भारत] से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी [ भारतीय विधि] के अनुसार विचारण का पात्र हो, [भारत] से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य [भारत] के भीतर किया गया था ।
अध्याय 3: दण्डों के विषय में
- “दण्ड” – अपराधी इस संहिता के उपबंधों अधीन जिन दण्डों से दण्डनीय हैं, वे ये हैं पहला मृत्यु ; [ दूसरा- आजीवन कारावास ;]
चौथा कारावास, जो दो भांति का है, अर्थात्
(1) कठिन, अर्थात् कठोर श्रम के साथ; (2) सादा;
पांचवां– सम्पत्ति का समपहरण;
छठा- जुर्माना ।
53क. निर्वासन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना- (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) के उपबन्धों के अध्यधीन किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में, या किसी ऐसी विधि या किसी निरसित अधिनियमिति के आधार पर प्रभावशील किसी लिखत या आदेश में “आजीवन निर्वासन” के प्रति निर्देश का अर्थ यह लगाया जाएगा कि वह “आजीवन कारावास” के प्रति निर्देश है ।
अध्याय 4: साधारण अपवाद
- विधि द्वारा आवद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप के विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य-कोई बात अपराध नहीं है, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या जो तथ्य की भूल के कारण, न कि विधि की भूल के कारण, सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है ।
दृष्टांत (क) विधि के समादेशों के अनुवर्तन में अपने वरिष्ठ आफिसर के आदेश से एक सैनिक क भीड़ पर गोली चलाता है। क ने कोई अपराध नहीं किया ।
(ख) न्यायालय का आफिसर क म को गिरफ्तार करने के लिए उस न्यायालय द्वारा आदिष्ट किए जाने पर और सम्यक् जांच के पश्चात् यह विश्वास करके कि य, म है, य को गिरफ्तार कर लेता है। क ने कोई अपराध नहीं किया
- न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य कोई बात अपराध नहीं है, जो न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश द्वारा ऐसी किसी शक्ति के प्रयोग में की जाती है, जो या जिसके बारे में उसे सद्भावपूर्वक विश्वास है कि वह उसे विधि द्वारा दी गई।
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लेखक | Government |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 97 |
PDF साइज़ | 5 MB |
Category | Law |
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