श्री सूर्य अष्टकम | Surya Ashtakam Lyrics PDF In Sanskrit

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सूर्य अष्टकम – Surya Ashtakam PDF With Meaning Free Download

सूर्य अष्टकम Lyrics With English Meaning

सूर्य अष्टकम सांबा पुराण में वर्णित है, जो की सूर्य भगवान को समर्पित है ! सूर्य अष्टकम को एक वैदिक ग्रंथ कहा जाता है ! सूर्य अष्टकम में सूर्य की विभिन्न प्रकार से प्रशंसा किया गया है तथा विशेषताओं को बतलाया गया है !

सूर्य अष्टकम में 8 श्लोक हैं ! यह भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है ! भगवान सूर्य को नवग्रहों का राजा माना जाता है , एवं सूर्य को शनिदेव और यमराज का पिता हैं !

इसमें वर्णित भजन को फलदायी कहा गया है तथा ऐसा माना जाता है की प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने से ग्रह या अन्य ग्रहों से किसी भी तरह के बुरे प्रभाव दूर हो सकते हैं !

भगवन सूर्य को व्यक्ति 12 नाम लेते हुए जल अर्पण करते हैं ,वो गरीब अमीर बन सकते हैं और निःसंतान को संतान हो सकते हैं ! इसके अलावा, सूर्य को समर्पित दिन, जो महिलाएं वसायुक्त भोजन, शराब और मांस को नहीं छूती हैं, उन्हें बीमारी, दुख या गरीबी से छुआ नहीं जाएगा, और अंत में उन्हें सूर्य तक पहुंच प्राप्त होगी !

साम्ब उवाच

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ २ ॥

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ३ ॥

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ४ ॥

बृंहितं तेजसां पुञ्जं वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ५ ॥

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ६ ॥

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजःप्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ७ ॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥ ८ ॥

इति श्री सुर्य अष्टकम

Surya Ashtakam With Hindi Meaning

हे आदिदेव भास्कर! आपको प्रणाम है, आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर! आपको नमस्कार है, हे प्रभाकर! आपको प्रणाम है।

हे आदिदेव भास्कर! सात घोड़ों वाले रथ पर आरुढ़, हाथ में श्वेत कमल धारण किये हुए, प्रचण्ड तेजस्वी कश्यपकुमार सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! लोहितवर्ण रथारुढ़ सर्वलोकपितामह महापापहारी सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! जो त्रिगुणमय ब्रह्मा, विष्णु और शिवरूप हैं, उन महापापहारी महान वीर सूर्यदेव को मैं नमस्कार करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! जो बढ़े हुए तेज के पुंज हैं और वायु तथा आकाशस्वरुप हैं, उन समस्त लोकों के अधिपति सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! जो बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्प समान रक्तवर्ण और हार तथा कुण्डलों से विभूषित हैं, उन एक चक्रधारी सूर्यदेव को मैं प्रणाम करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! महान तेज के प्रकाशक, जगत के कर्ता, महापापहारी उन सूर्य भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।

हे आदिदेव भास्कर! उन सूर्यदेव को, जो जगत के नायक हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्ष को भी देते हैं, साथ ही जो बड़े-बड़े पापों को भी हर लेते हैं, मैं प्रणाम करता हूँ।

यह पर हिंदी में अर्थ दिया है और निचे दी हुई PDF में संस्कृत श्लोक के साथ english में अनुवाद दिया गया है जिसको आप डाउनलोड करके पढ़ सकते हो

भाषा हिन्दी, English, संस्कृत
कुल पृष्ठ 3
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