सूरदास की जीवनी – Biography of Surdas Pdf Free Download

सूरदास की पदावली
जनके विषय में प्रसिद्ध है कि उनके पास जो कुछ होता था, उससे वे साधु सेवा करने में अपना महोभाय मानते थे। कहा जाता है, एक बार सरकारी मालगुजारी का साधुों को खिला दिया !
इपया भेजने को पेटियों में कंकड़-पत्थर भर कर पौर पर्का रखकर बादशाह के भेज दिया गया। पाप राशि के संस्कार में संडीला से भाग कर दामन चले गये।
जब वे पेटिया प्रकार के खजाने में खोली गई, तब उनमे ककड़-पत्थर के साथ निम्न लिखित प्राशय का पैसा भी निकला -तरह लाख संडीले अपने [रुब साधुन मिल गटको ।
सूरदात सबनमोहन, पाचन को सटके ।।इस पद को पढकर गुणग्राही बादशाह उनकी उदारता ।र सरसता पर ध्यान प्रसन्न हुमा। उसने माफीनागा भेज कर उन्हें अपने पास बुलाया,
पितु वे बू दाबन छोड़कर कहीं जाने के लिए तैयार नहीं हुए। कहते है मे बलपूर्वक राजधानी मेले जाये गये हो शाही वित्त मंत्री टोडरमल की मामा गुभार उनको डाल दिया गया।
प्रत में अकबर इसे सुन कर एक साधु ने उनकी परीक्षा करने का विचार किया। एक दिन जब वे मदनमोहन जी के दर्शनार्थ गये, तब उस साधु ने अपनी जूती उन्हें सौंपते हुए कहा,
“मैं दर्शन कर अभी आती है । प्राप तब तक इनकी रखवाली कीजिये ” वह साधु मंदिर में जाकर बैठ गया और वे द्वार पर उसकी जूती लिए खड़े रहे ! मंदिर गोसाई जी ने उनको कई बार बुलाया,
किंतु वे अंदर नहीं गये प्रौर उसी प्रकार खड़े रहे । उनकी इस सेवा-भावना को देख कर सब लोग उनकी मुक्त कठ से प्रशंसा करने लगे । प्रियादास जी ने उक्त का इस प्रकार वर्णन किया है
लेखक | प्रभु दयाल मित्तल-Prabhu Dayal Mittal |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 136 |
Pdf साइज़ | 8.9 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
सूरदास जीवन और काव्य का अध्ययन PDF
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सूरदास पदावली – Surdas Padawali Book Pdf Free Download