संत एकनाथ चरित्र – Eknath Charitra Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
साम्पदायिक अर्थात् माषुक, काव्यमर्मश अर्थात् रसिक श्रीर इतिहासच अर्थात् चिकित्सक होना चाहिये। ऐसा तीनों गुणों से युद्ध यरिबकार हो तो वह सन्तोंके चरित्र लिखनेका काम उत्तम रीतिसे कर सकता है ।
भावुकता, रसिकता और चिकित्सकता इन तीन गुणोंकी कल्पना महीपतियाबा, विष्णु शास्त्री चिपलोणकर और राजवाडे इन तीन नामोंसे अनायास ही हो सकती है।
महीपतिबाबाके चरित्रलेखिनमें काळ-चिपर्या- सादि दोष दिखायी देते हैं, पर उनकी प्रेममरी रसीली वाणी संसारदुःख भुलाकर, रज-तमको दवाकर और सत्त्वगुणका उदय करके भक्तिमार्गपर ला खड़ा कर देती है।
राजवाडे थिद्वान्, शोधक, उद्योगी, स्वायंत्यागी और चुद्धिमान् होनेसे विटामान्य रहेको और शाखीय शोधके सम्बन्धमें उनके उपकार सदा सरण रहेंगे । पर उनकी कर्कश,
कठोर और भेदक पद्धति भाबुकोंको कभी अच्छी नहीं लग सकती। निबन्ध-मालाकार विष्णुशास्त्री मध्यस्थ रहेंगे; तर्कके लिये न तो वह रसका निषेध करेंगे और न झन्ध-श्रद्धाके लिये चाहे जिस बातपर विश्वास ही करेंगे ।
महीपतिकी रसिकता, मालाकारकी मार्मिकता और राजवाडेकी चिकित्सकता इन तीनों गुणोंका समुचित सम्मिश्रण जिस सन्त-चरित्रारमें हुआ रहेगा वह भावुक, रसिक और पण्डित तीनों प्रकारके लोगोंके लिये मान्य होगा ।
ऐसा पुरुष जब उत्पन्न हो पर इन तीन गुणोंका अल्पांश भी यदि मेरी सन्त-चरित्रमालामें दिखायी दे तो मैं यह समझ सकता हूँ कि साहित्यको द्वष्टिसे भी सन्तोंकी कुछ सेवा हुई।
दालोपन्त, मुक्तेश्वर रुण्णदर्णव, मोरी पन्त आदि से भी कहीं- कही सहारा लिया है और अन्तमें ‘स्तुति-हमनाजलि में एक- नाथ महाराजके पश्चात् जो कवि घुप उनके एकनाथ सम्बन्ध में प्रेमोहारोंका संग्रह किया है
इन प्रेमोद्वारोंसे यह मच्छी सरद मालूम हो जाता है कि महीपति और केशव प्रज्ञा में दी हुई कथाएँ सर्वत्र कितनी परिचित हो गयी थी। इस চन्यमें स्थान-स्थानपर एकनाथ महाराजके ग्रन्यों से उनके अनेक वचन उद्दत किये हैं
लेखक | Gita Press |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 250 |
Pdf साइज़ | 10.6 MB |
Category | आत्मकथा(Biography) |
श्री एकनाथ चरित्र – Eknath Charitra Book/Pustak Pdf Free Download