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सामुद्रिक शास्त्र विद्या – Samudrik Shastra Book PDF Free Download
समुद्र शास्त्र किताब
- हस्त परीक्षा
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- नाखून
- ग्रह ज्ञान
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- रेखा विचार
- जीवन रेखा
- स्वास्थ्य रेखा
- हृदय रेखा
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- मणिबन्ध रेखा
- फुटकर रेखायें
- रेखाओं का महत्व
- शारीरिक लक्षण दाहिना पैर
- बाया पैर
ज्योतिष के चित्र में भारत संसार के समस्त देशों से सदा आगे रहा है। आज, यद्यपि अन्य क्षेत्रों में भारत की गणना संसार के पिछड़े देशों में होती है,
किन्तु ज्योतिष के मामले में वह पिछले सैकड़ों वर्षों से संसार के समस्त देशों का नेतृत्व करता चला आ रहा है । यह नगरीय सत्य है कि संसार के समस्त देशों का ज्योतिष ज्ञान
भारत के ज्योतिष ज्ञान के सम्मुख कोई अस्तित्व नहीं रखता। इसके साथ ही साथ यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश में इस विद्या की धीरे २ अवनति हो रही है।
अवनति के दो मूल कारण है । पहला कारण तो यह है कि देश में ऐसा कोई विद्यालय नहीं जहाँ इसकी दीक्षा का समु चित प्रचंड हो।
किसी भी विद्या का उत्थान जय तक सम्भव नहीं जयतक शासन उसके प्रसार और खोज का पूर्णसाधन उपलब्ध म करता।
देश के पाठ्यक्रम में इसका कोई महत्व नहीं अतः जिज्ञासु व्यक्ति भी इसके ज्ञान प्राप्ति के साधनों से वंचित रहসाते हैं उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है
श्रृंखला बद्ध न होने के कारण उनके शान का कोई मान ही नहीं रहता । शासन पी पेक्षा जो सदियों से इस विद्या विशेष के साथ चली घा रहो है, इस के पतन का मुख्य कारण हो गई है।
दूसरा कारण जनता की इस दिशा के प्रति उपेक्ता । माधारण जन-समुदाय इसको केवल जन्मपत्री बनाने वाले तथा शनिवार के दिन तेल मांगने चाले भारी की विद्या दो समानता ।
या सच भी है कि दोनों णी के लोगों नेउनका ज्ञान अधूरा रह जाता है और श्रृंखला बद्ध न होने के कारण उनके शान का कोई मान ही नहीं रहता ।
शासन पी पेक्षा जो सदियों से इस विद्या विशेष के साथ चली घा रहो है, इस के पतन का मुख्य कारण हो गई है। दूसरा कारण जनता की इस दिशा के प्रति उपेक्ता ।
माधारण जन-समुदाय इसको केवल जन्मपत्री बनाने वाले तथा शनिवार के दिन तेल मांगने चाले भारी की विद्या दो समानता या सच भी है कि दोनों णी के लोगों ने।
लेखक | ज्योतिषाचार्य भृगुराज – Jyotishacharya Bhraguraj |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 328 |
PDF साइज़ | 7.6 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
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