ब्रज भाव | Braj Bhav PDF In Hindi

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ब्रज भाव | Braj Bhav Pustak PDF Free Download

ब्रज भाव

अनुभूतिकी गहनता सहज ही वाणीका आश्रय लेती है अभिव्यक्त हो उठनेके लिये प्रबल एवं प्रगाढ अनुभूतिकी अभिव्यक्ति जबतक हो नहीं जाती तबतक कवि हृदय उमड़ता ही रहता है।

अभिव्यक्ति कवि हृदयकी एक विवशता और आवश्यकता है और यह अभिव्यक्ति ही कवि एवं समाजके लिये एक आनन्ददायी वरदान सिद्ध हो जाता है।

महर्षि वाल्मीकिके अन्तरकी आकुलताकी सहज अभिव्यक्तिने ही उन्हें आदि कवि बना दिया। संत तुलसीके अन्तरकी भावुकताकी ललित अभिव्यक्तिने ही उन्हें विश्व-विश्रुत राम-कवि बना दिया।

इसी सत्यकी आवृत्ति संत हृदय श्रीपोद्दारजीके जीवन में भी हुई। उनकी काव्य रचनामें रचनाकारकी अहमन्यता नहीं, रचना करनेके लिये रचना करनेका प्रयास नहीं,

अपितु अन्तर्मुखी, अन्तनिर्हित कोमल भावनाओंका दृष्ट, अनुभूत उच्छ्वास है एवं भावोद्रेककी सहज स्वान्तः सुखाय अभिव्यक्ति है। इसलिये इसमें सहजता है।

वस्तुतः यह ‘काव्य-रचना’ नहीं थी, उनका स्वात्मसंवेदन था। स्वात्मसंवेदनका अर्थ है- जीवनके महालक्ष्यसे सम्बद्ध अनुभवोंका स्फुरण जिसमें भीतरसे शब्द विद्युत प्रकाशकी भाँति प्रस्फुटित होते हैं।

इस स्थितिको श्रीपोद्दारजीने जीवनभर प्रयत्नपूर्वक गोपनीय रखा। किन्तु दिव्यानुभूतिकी वह अंत:सलिला काव्य-कल्लोलिनी काव्यधाराके रूपमें चिरविश्रामके पूर्वतक अजस्त्र प्रवाहित होती रही,

जिसने आज हिन्दी साहित्यकी सूर, तुलसी, कबीरकी परम्परामें भक्ति साहित्यको एक और उज्ज्वल और अपूर्व रत्न प्रदान किया है। उनके काव्यका अध्ययन करनेपर ऐसा प्रतीत होता है कि उनका हृदय सहज ही कवि हृदय था।

अन्यथा पत्रों के उत्तरके रूपमें इतनी विपुल मात्रामें पदोंकी रचना संभव नहीं थी। उनका काव्य, उनका एकांतिक प्रेमी भक्तके स्वरूपको प्रकट करता है, जिसमें उनके निश्छल एवं भाव विह्वल भक्त हृदयका यथार्थ प्रतिविम्ब परिलक्षित होता है।

श्रीपोद्दारजीके काव्यमें उनकी साधनाके सोपान भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं एवं उनके अन्तर्हृदयकी अनुभूतियोंके भी सहज दर्शन होते हैं। उनकी पद-रचना कवि-कल्पना न होकर उनकी स्वानुभूतिके उद्गार हैं।

उनके द्वारा किया गया लीला प्रसंगोंका वर्णन बौद्धिक प्रक्रिया प्रसूत न होकर साक्षात् लीला-परिकरके रूपमें प्राप्त प्रत्यक्षानुभवपर आत है। कुछ पदोंके तो पढ़नेसे साधारण पाठकोंको भी ऐसा परिलक्षित होता है

लेखक हनुमान प्रसाद-Hanuman Prasad
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 162
Pdf साइज़1 MB
Categoryकाव्य(Poetry)

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