मेरे प्रियतम | Mere Priyatam PDF In Hindi

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मेरे प्रियतम | Mere Priyatam Book PDF Free Download

मेरे प्रियतम

आपने उस दिन पूछा था कि भाईजी सर्वज्ञ हैं कि नहीं। (मनके भीतरकी बात जानना, सब बातें भगवान्‌की तरह जान लेना) एक बात आप सोचिये। आपके सामने जो भाईजीका पाञ्चभौतिक ढाँचा दीखता है,

उसके भीतर क्या है। जैसे हम लोग पैदा हुए थे, जीव जिस प्रकार जन्म लेता है, उसी प्रकार भाईजी पैदा हुए थे। दूसरे शब्दोंमें एक जीवात्मा आजसे ४५-५० वर्ष पहले पैदा हुआ था

जिसका नाम हनुमानप्रसाद रखा गया। पर भगवान्‌की कृपासे साधनाके द्वारा वह इतनी ऊँची स्थितिपर पहुँच गया कि जिसकी कल्पना भी हम लोगोंको नहीं हो सकती।

अब समझाने के लिये आपसे कहता हूँ कि जैसे आजसे ५-७ वर्ष पहले भगवान् आवें और स्वयं इस पाञ्चभौतिक ढाँचेके अन्दर जो जीव था, उसे सर्वोच्च स्थिति,

सर्वोत्तम पारमार्थिक स्थितिका दान करके उसे अपने हृदयमें छिपा लें और स्वयं उसकी जगहपर काम करने लगे, ठीक-ठीक यही हालत यहाँ हुई है। भाईजीके ढाँचेके भीतर जो आत्मा थी,

वह तो सर्वोच्च पारमार्थिक स्थिति प्राप्त करके उनके हृदयमें उनकी सच्चिदानन्दमयी लीलामें सम्मिलित हो गई. अब उसकी जगहपर स्वयं भगवान् काम कर रहे हैं

तबतक करेंगे जबतक यह पाचभौतिक ढाँचा रहेगा। अब आप समझियेगा कि मामाजी भगवान हैं, सर्वज्ञ हैं, सर्वसमर्थ हैं आपके सामने ठीक उसी प्रकार बने रहेंगे कि जैसा भानजेके प्रति होना चाहिये।

कहेंगे—हाँ भाया. वासुदेव राजी तो हैं वासुदेव विचारेको यह पता नहीं कि मेरे मामाजी जो थे, वे तो कबके चले गये, उनकी जगह स्वयं भगवान् मेरी बातका जवाब देते हैं.

मेरी बात सुनते हैं, मुझे सलाह देते हैं। वह विचारा तो यही समझेगा मामाजीने वह कहा है। अधिक-से अधिक सोचेगा कि मामाजी महात्मा हैं, वह यह सोच ही नहीं सकता कि स्वयं भगवान् मेरेसे खेल कर रहे हैं।

इसी प्रकार मांजीके लिये बेटा बने रहेंगे, सावित्री के लिये पिता, सावित्रीकी माँके लिये पति और किसीको रत्तीभर भी यह पता नहीं चलेगा ठीक ठीक यही दशा यहाँ समझनी चाहिये।

लेखक राधा बाबा-Radha Baba
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 77
Pdf साइज़2 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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