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महाभारत की पूरी कहानी – Mahabharat Book PDF Free Download

महाभारत पुस्तक के बारे में
महर्षि वेदव्यास रचित सभी खंडो को पंडित रामनारायण दत्त ने सरल भाषा में अनुवाद किया है जिसको यह प्रस्तुत किया है।
महाभारत आर्य-संस्कृति तथा भारतीय सनातनधर्मका एक अत्यन्त आदरणीय और महान प्रमुख ग्रन्थ है। यह अनन्त अमूल्य रत्नोंका अपार भण्डार है।
भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते हैं कि ‘इस महाभारत में मैंने वेदोंके रहस्य और विस्तार, उपनिषदों के सम्पूर्ण सार, इतिहास-पुराणोंके उन्मेष और निमेष,
चातुर्वर्ण्य के विधान, पुराणों के आशय, ग्रह-नक्षत्र-तारा आदिके परिमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, दान, पाशुपत ( अन्तर्यामीकी महिमा), तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, वनों तथा समुद्रोंका भी वर्णन किया है।’
अतएव महाभारत महाकाव्य है, गूढ़ार्थमय ज्ञान-विज्ञान शास्त्र है, धर्मग्रन्थ है, राजनीतिक दर्शन है, निष्काम कर्मयोग-दर्शन है,
भक्ति-शास्त्र है, अध्यात्म शास्त्र है, आर्यजातिका इतिहास है और सर्वार्थसाधक तथा सर्वशास्त्र संग्रह है।
सबसे अधिक महत्त्व की बात तो यह है कि इसमें एक, अद्वितीय, सर्वज्ञ, सर्वशक्ति मान्, सर्वलोकमहेश्वर, परमयोगेश्वर, अचिन्त्यानन्त गुणगणसम्पन्न, सृष्टि-स्थिति प्रलयकारी, विचित्र लीलाविहारी,
भक्त-भक्तिमान्, भक्त-सर्वस्व, निखिलरसामृतसिन्धु, अनन्तप्रेमाधार, प्रेमधनविग्रह, सच्चिदानन्दघन, वासुदेव भगवान श्रीकृष्णके गुण-गौरवका मधुर गान है। इसकी महिमा अपार है।
औपनिषद ऋषिने भी इतिहास-पुराणको पञ्चम वेद बताकर महाभारतकी सर्वोपरि महत्ता स्वीकार की है।
इस महाभारतके हिंदीमें कई अनुवाद इससे पहले प्रकाशित हो चुके हैं, परंतु इस समय संस्कृत मूल तथा हिंदी अनुवादसहित सम्पूर्ण ग्रन्थ शायद उपलब्ध नहीं है। मूल तथा हिंदी अनुवाद पृथक्-पृथक् तो प्राप्त होते हैं, परंतु उनका मूल्य बहुत है।
इसीलिये महाभारतका महत्त्व समझनेवाले प्रेमी तथा उदाराशय सज्जनोंका बहुत दिनों से यह आग्रह था कि गीताप्रेसके द्वारा मूल संस्कृत एवं हिंदी अनुवाद सहित सम्पूर्ण महाभारत प्रकाशित किया जाय।
इसके लिये बहुत दिनोंसे प्रयास भी चल रहा था। कई बार योजनाएँ भी बनायी गयीं: परंतु सत्कार्य प्रारम्भका पुण्य दिवस तभी प्राप्त होता है, जब भगवत्कृपासे वैसा अवसर प्राप्त हो जाता है।
बहुत दिनोंके प्रयत्न के पश्चात् अब वह सुअवसर आया है और महाभारत का यह प्रथम खण्ड आपके हाथोंमें उपस्थित है।
महाभारतमें आया है कि भगवान् व्यासदेवने साठ लाख श्लोकोंकी एक महाभारत-संहिताका निर्माण किया था। उस समय महान् ग्रन्थके चार छोटे बड़े संस्करण थे।
इनमें पहला तीस लाख श्लोकोंका था, जिसे नारदजीने देवलोकमें देवताओंको सुनाया था। दूसरा पंद्रह लाख श्लोकोंका था, जिसको देवल और असित ऋषिने पितृलोकमें पितृगणोंको सुनाया था।
तीसरा जो चौदह लाख श्लोकोंका था, शुकदेवजीके द्वारा गन्धर्वो, यक्षों आदिको सुनाया गया और शेष एक लाख इलोकोंके चौथे संस्करणका प्रचार मनुष्य लोक में हुआ |
लेखक | महर्षि वेदव्यास-Maharshi Vedvyas |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 5424 |
Pdf साइज़ | 126.2 MB |
Category | Religious |
Download
- खण्ड 1 [124MB] (आदिपर्व और सभापर्व )
- खण्ड 2 [137MB] (वनपर्व और विराटपर्व)
- खण्ड 3 [132MB] (उद्योगपर्व और भीष्मपर्व)
- खण्ड 4 [171MB] (द्रोणपर्व, कर्णपर्व, शल्यपर्व, सौप्तिकपर्व और स्त्रीपर्व)
- खण्ड 5 [126MB] (शांतिपर्व)
- खण्ड 6 [95MB] (अनुशासनपर्व, आश्वमेघिकपर्व, आश्रमवासिकपर्व, मौसलपर्व, महाप्रस्थानिकपर्व और स्वर्गारोहण पर्व)
महाभारत की पूरी कहानी हिंदी में PDF
तिरसठवाँ अध्याय: सात्यकि और भूरिश्रवा की भिड़न्त
सञ्जय ने कहा—राजन्, हाथियों की सेना के यों मारे जाने पर आपके पुत्र दुर्योधन ने अपनी सेना को भीमसेन के वध की आज्ञा दी ।
उस समय आपके पक्ष की सेना भयानक शब्द करके भीमसेन पर हमला करने के लिए दौड़ी। समुद्र के वेग को जैसे तटभूमि रोकती है वैसे ही भीमसेन उस असंख्य रथ-हाथी-घोड़े-पैदल आदि से पूर्ण, उड़ी हुई धूल से व्याप्त, देवताओं के लिए भी दुःसह कौरव सेना के वेग को रोकने लगे।
राजन, इस युद्ध में हमने भीमसेन का अद्भुत पराक्रम और अलौकिक काम देखे । वे अनायास उन सब राजाओं को और चतुरङ्गिणी सेना को केवल गदा की मार से रोकने लगे।
महापराक्रमी भीमसेन ने गदा के द्वारा उस सेना का वेग रोक लिया। वे पर्वतराज सुमेरु की तरह अचल बने रहे। उस भयानक युद्ध के समय भीमसेन के पुत्र, भाई, धृष्टद्युम्न, द्रौपदी के पाँचों पुत्र, अभिमन्यु और शिखण्डो ने भीमसेन का साथ नहीं छोड़ा।
भीमसेन लोहे की गदा हाथ में लेकर साक्षात् काल की तरह आपके योद्धाओं को मारने दौड़े, और प्रलयकाल के अग्नि की तरह आसपास के शत्रुओं को भस्म करते हुए युद्धभूमि में घूमने लगे।
वे घोड़ों को खदेड़कर और घुटनों के वेग से रथों को खींचकर उन पर के योद्धाओं को मारने लगे। हाथी जैसे नरकुल के जङ्गल को मथ डालता है वैसे ही वे रथों, घोड़ों, हाथियों के सवारों और पैदलों को गदा के प्रहार से नष्ट करने लगे ।
प्रबल आंधी से उखड़े वृक्षों की तरह काँपते हुए योद्धा गिरने लगे उस समय भीमसेन की गदा में रक्त, मांस, मेदा, मज्जा और वसा लिपी हुई थी, इसी कारण वह बहुत भयङ्कर देख पड़ती थी।
चारों ओर पड़ी मनुष्यों, हाथियों, घोड़ों आदि की लाशों से वह समरभूमि काल की वध्यभूमि के समान जान पड़ने लगी ।
सब लोगों को महावीर भीमसेन की वह प्रचण्ड गदा यमराज के दण्ड सी इन्द्र के वज्र सी, और संहारकर्ता शङ्कर के पिनाक धनुष सी जान पड़ती थी ।
उस गदा को लिये घूमते हुए भीमसेन उस समय प्रलयकाल में यमराज के समान शोभा को प्राप्त हुए। सब वीरों को मारते और भगाते हुए भीमसेन को आते देखकर कौरव पक्ष के सब लोग बहुत ही उदास हुए ।
महावीर भीमसेन गदा तानकर जिधर देखते थे उधर ही सेना डरकर भागने लगती थी ।
महाराज ! इस तरह सैन्य-संहारकर्ता, मुँह फैलाये हुए काल के समान भयङ्कर, भीमसेन भयावनी गदा के प्रहार से सेना को छिन्न-भिन्न कर रहे थे यह देखकर महावीर भीष्म मेघ के समान गरजनेवाले और सूर्यमण्डल के समान प्रकाश-पूर्ण रथ पर बैठकर वर्षा के मेघ की तरह बाण बरसाते हुए भीमसेन के सामने दौड़े।
साक्षात् काल के समान भीष्म को आते देखकर भीमसेन और भी क्रुद्ध हो उठे और एकाएक दौड़कर उनके समीप पहुँचे तब सत्य- परायण सात्यकि भी दृढ़ धनुष हाथ में लेकर बाण-वर्षा से दुर्योधन की सेना को कम्पित और नष्ट करते हुए भीष्म की ओर दौड़ पड़े।
हे राजेन्द्र ! आपके पक्ष का कोई भी वीर सफ़ेद घोड़ों से युक्त रथ पर बैठे हुए, तीक्ष्ण बाण बरसा रहे, शिनिवीर सात्यकि को रोक नहीं सका केवल राक्षस अलम्बुष ने सामने जाकर उनको दस बाण मारे महावीर सात्यकि ने रथ पर से चार बाण मारकर उसे शिथिल कर दिया और अपना रथ आगे बढ़ाया ।
अगर आप श्लोक के बिना महाभारत को सिर्फ कहानी के रूप में पढना तो यह किताब देख सकते है
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राम नारायण दत्त जी के द्वारा लिखित महाभारत छह खंडों में है क्या कोई जानकारी दें ओल्ड एडिशनल
धन्यवाद, सम्पूर्ण महाभारत शेयर किया आप ने।
मैंने ये संस्करण पढ़ा मुझे इसमें मिलावट लगी । रामोपाख्यान में।
मुझे असली महाभारत चाहिए जिसमें 8800 श्लोक हैं। बाकी श्लोक बाद में जोड़े गए हैं। ऐसा लगता है।