गीता प्रवचन विनोबा | Gita Pravachan Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
एक परमेश्वरके कोई नहीं है; लेकिन उसी तरह केवल दोषमय भी इस संसार में कोई नहीं है, यह बात महाभारत बहुत स्पष्टतासे बता रहा है। इसमें जहां भीष्म-युधिष्ठिर – जैसों के दोष दिखाये हैं
तो दूसरी ओर कर्ण-दुर्योधनादिके गुणोंपर भी प्रकाश डाला गया है। महाभारत बताता है कि मानव-जीवन सफेद व काले तंतुओंका एक पट है । अलिप्त रहकर भगवान् व्यास जगत्के-विराट्
संसारके-छाया-प्रकाशमय चित्र दिखलाते हैं । व्यासदेवके इस अत्यंत अलिप्त व उदात्त ग्रथन-कौशलके कारण महाभारत ग्रंथ मानो एक सोनेकी बड़ी भारी खान बन गया है।
उसका शोधन करके भरपूर सोना लूट लिया जायं। व्यासदेवने इतना बड़ा महाभारत लिखा, परंतु उन्हें खुद अपना कुछ कहना था या नहीं? अपना कोई खास संदेशा किसी जगह उन्होंने दिया है?
किस स्थानपर व्यासदेवकी समाधि लगी है ? स्थान-स्थानपर तत्त्वज्ञान व उपदेशोंके जंगल-के-जंगल महाभारत में आये हैं, परंतु इस सारे तत्त्वज्ञानका, उपदेशका और समूचे ग्रंथका सारभूत रहस्य भी उन्होंने कहीं लिखा है ?
हां, लिखा है, समग्र महाभारतका नवनीत व्यासजीने भगवद्गीतामें निकालकर रख दिया है गीता व्यासदेवकी प्रधान सिखावन व उनके मननका सार-संचय है। इसीके आधारपर ‘व्यास, मैं मुनियोंमें हूं’
यह विभूति अर्थपूर्ण साबित होनेवाली है । गीताको प्राचीन कालसे उपनिषद्की पदवी मिली हुई है। गीता उपनिष दोंका भी उपनिषद् है; क्योंकि समस्त उपनिषदोंको दुहकर यह गीतारूपी
दध भगवानने अर्जनके निमित्तसे संसारको दिया है। आजसे में श्रीमद्भगवद्गीता के विषयमें कहनेवाला हूं । गीताका व मेरा संबंध तर्कसे परे है। मेरा शरीर मांके दूधपर जितना पला है
उससे कहीं अधिक मेरा हृदय व बुद्धि, दोनों गीताके दूधसे पोषित हुए हैं। गीता महाभारतके मध्य-भागमें, एक ऊंचे दीपककी तरह स्थित है, जिसका प्रकाश सारे महाभारतपर पड़ रहा है। एक ओर पर्व दूसरी ओर बारह पर्व,
लेखक | विनोबा जी-Vinoba Ji |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 284 |
Pdf साइज़ | 28.9 MB |
Category | प्रेरक(Inspirational) |
गीता प्रवचन भाग 1,2,3 गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी द्वारा संकलित
प्रायः एक दशक से भी अधिककाल से अनुपलब्ध गीता व्याख्यानमाला (गोता प्रवचन) नामक इस महत्वपूर्ण तीन भागों में पूर्व प्रकाशित ग्रन्थ का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रकाशन समिति द्वारा द्वितीय संस्करण,
पूर्ववत तीन भागों में प्रकाशित किया जारहा है, यह अभिनन्दनीय अवसर है। इसके लिए गौता तथा अध्यात्म रुचि के विद्वानों और पाठक समुदाय के साधुवाद के और धन्यवाद के अधिकारी हैं,
काशो हिन्दू विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति महोदय तथा उन्हें एतदर्थ प्रेरित करने वाले डॉ० विश्वनाथ पाण्डेय, सदस्य सचिव, प्रकाशन समिति एवं विशेष कार्याधिकारी (प्रकाशन) तथा जनसंपर्क अधिकारी महोदय,
जिन्होंने इस कमी को देखकर इसके शीघ्र प्रकाशन का निर्णय लिया मैंने पहिले के कुलपति महानुभावों को पत्र लिखकर इसके पुनर्मुद्रण के लिए ध्यान दिलाया था, परन्तु कालक्रम अनुकूल नहीं हो पाया और वह अब आ सका।
महामना पुण्यश्लोक ब्रह्मर्षि पण्डित मदनमोहन मालवीय जी महाराज ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में रविवार को प्रातः १ घण्टे के काल में गीता-प्रवचन नाम से जो प्रवर्तन किया था
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