रंगनाथ रामायण | Ranganath Ramayan Book PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
यही नहीं, रावण अच्छी तरह जानता था कि श्रीराम विष्णु के अपर कप है और उनके हायो मरने से मोक्ष को प्राप्ति होती है । इसलिए, वहु सोचता है कि युव के लिए ललकारलेषाले शत्रु के सामने घुटने टेकर
में अपनी दीनता क्यो प्रकट करे भीर अपनी वीरता को क्यो करूकित कर्हेँ जब मदोदरी राम की महिमा का वर्णन करो रावण को युद्ध करने से रोकने का प्रयत्न करती है, तो रावण कहता है-
ये नेरुलभगुल मिक शामुल बोनीक चपुटुटुः भूमिज नीय थारु धल्डन, पद गाफ येनु श्रीरामु शरमुलये जसुनेनि नाकवासुलु मेञ्च ना फोयर ्सुंठ मेंदुरागणु निपथटिकि ललन भीवेटिकि? लक ये मिटिकि ? दलफोम्ল मुक्ति सत्पयमु गंफोटु ।
(अब में किसी भी प्रकार राघव का वध फहोगा ही में सोता को नहीं दूंगा। यदि इसके विपरीत में श्रीराम के शरी से ही मारा जाऊँगा, तो मेरा विर अभिलपित स्वर्ग मेरे पास स्वयं आ जायगा और स्वर्ग को निवासी मेरी प्रधासा फरेंगे।
जय में मुक्तिपथ को प्राप्त करने जा रहा हूँ, तव हे सुन्दरी। मुझे न तुम्हारी आवश्यता हम लका की।)वाल्मीकिरामायण में सुलोचना या वृत्तात नहीं मिलता हूँ । तुलसी-रामायण को कुछ प्रतियो में इस कथा का बड़ा सरस वर्णन मिलता है।
किन्तु परितो का विचार है कि तुलसी रामायण का यह अंश प्रक्षिप्त है। रंगनाथ रामायण में इस महान् साध्वी के चरित्र का अल्युसतम चित्रण मिलता हूँ । बँगला-फवि माइकोल मधुसूबन मे अपनी रसना ‘मेघनाद-वर्ष में सुलोचना के चरित्र को विशेष प्रधानता दी हैं
उस मोर एव सती-साप्नी स्त्री का एक भव्य भारत उपस्वित किया है। इन्द्रजीत की मृत्यु के उपरात उसकी वीर परनी सुलोचना अपने पति के मृत शरीर के साथ रती होगा चाहती हैं । अतः, वह अपने ससुर रावण से इन्द्रजीत क
लेखक | राजा गौतबुद्ध-Raja Gautbuddh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 508 |
Pdf साइज़ | 22.1 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
रंगनाथ रामायण | Ranganath Ramayan Book Pdf Free Download