घट रामायण तुलसीदास – Ghat Ramayan Book/Pustak Pdf Free Download
तुलसी साहब तथा घट रामायण, मूल पाठ तथा टिका
हाथरस में उनकी समाधि मौजूद है और बहुत से लोग वहाँ दर्शन को जाते हैं और साल में एक बार भारी मेला लगता है। यद्यपि उनको इस संसार में गुप्त हुए ६० बरस १ से कम हुए हैं पर उनके अनुयायियों ने न जाने .
किस मसलहत से उनके समय को भूल भुलैया में डाल रखा है कि लोग सैकड़ों बरस समझते हैं। मुंशी देवी प्रसाद साहिब ने भी, जो अब इस मत के आचार्य कहे जाते हैं, घट रामायण की भूमिका में इस भ्रम को दूर करने की कोशिश नहीं की है।
हमने इस मत के कई साधुओं तथा और गृहस्थों से तुलसी साइब का जीवन समय पूछा तो उन्होंने एक ओर अय से साड़े तीन सौ बरस पहले अताया जो कि गोसाई तुलसीदास जी जगत प्रचलित सगुण रामायण के कर्ता का समय है।
तुलसी साहब ने निःसन्देह घट रामायण में फरमाया है कि पूर्व जन्म में आप ही गुसाई तुलसीदास जी के चोले में थे और तभी घट रामायण को रचा परन्तु चारों ओर से पंडितों,
भेषों और सर्वमतवालों का भारी विरोध देखकर उस ग्रन्थ को गुप्त कर दिया और दूसरी सगुन रामायण उसकी जगह समयानुसार बना दी।
इससे यह निष्कर्ष साफ तौर से निकलता है कि घट गामायण को तुलसी साहब ने जब दूसरा चोला अनुमान एक सौ चालीस बरस पीछे धारण किया तब प्रगट किया न कि पहले चोले से।
सवाल यह है कि कोई सन्त तुलसी साहब के नाम के पिछले सत्तर पचहत्तर वरस के अन्दर हाथरस में उपस्थित थे या नहीं, जो वहाँ सत्संग कराते थे और उपदेश देते थे और जहाँ उनकी समाधि अब तक मौजूद है।
हमको इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे महापुरुष अवश्य थे क्योंकि हम आप उनकी ममाथि का दर्शन कर आए हैं और दो प्रामाणिक सत्संगी अब तक मौजूद हैं,
लेखक | तुलसीदास-Tulasidas |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 150 |
Pdf साइज़ | 11.3 MB |
Category | Religious |
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