श्रृंगार शतक – Shringar Shatak Book/Pustak PDF Free Download
अचपि मापका शब्न फुलोंका घनुर्वाण है तथापि नापने अपने इसी इथियारसे च्रिलोचीको अपने अचोग कर है। मौरों को क्या चलाई, स्वरयं जगत्क् रचनेवाले, पालनेवाले विष्णु और संहार करनेवाले शिवजी तकको आपने बाकी नहीं कोड़ा।
इन तीनों देवताओंको मी मापने, घरका काम-धन्धा करनेके लिये, कुरङ्गनयनी सुन्दरी कामिनियोंका गुलाम बना दिया है।
यद्यपि भगवान् कामदेव भगवान् विष्णुके पुत्र है, पर आप अपने पितासे भी बढ़ गये। “गुरु गुड़ रहे और चेला चीनी हो गये” वाली कहावत आपने चरितार्थ की ।
आपने स्वयं अपने पिता पर ही हाथ साफ किये। उन्हें ही अनेक कुएँ भँकवाये । अपने पितासे लक्ष्मी और रुक्मिणी प्रभृतिको गुलामी करवा कर ही आपको सन्तोष नहीं हुआ।
आपने उन्हें परनारी ग्रज्जबालाओं तककी मुबतमें पागलखा कर दिया। यहाँ तक कि, उनसे मालिन और मनिहारिन तकके स्वाग भरवायें ।
एक बार येंवारोंको जलन्धर-पत्तो वृन्दाके यहाँ भेष बदलकर जाने तक पर मजबूर किया और शेषमें उनका फुज़ीता करवाया ।
पूर्ण योगी, श्मशान-यासी शिषजी तकको आपने नहीं छोड़ा। बेचारीको शैलसुताका कांत-दास बना दिया, यहाँ तक तो खैर थी।
आपने एक बार उनको सारी सुध-बुध हर ली और मोहिनीके पछि इस बुरी तरह से दौड़ाया कि, ढमसे तो लिखा तक नद्दी जाता।
एक और मौके पर शिवजी सामाधि जिन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और महेशको, मृगनयनी कामिनियोंके जरका काम-धन्धा करनेके लिये, दास बना रक्खा है,
जिनके बेचित्र चरित्रोंका वर्णन वाखीसे किया नहीं जा सकता,-उन एप्पायुध भगवान् कामदेवको हमारा नमस्कार है ।। १॥भगवान् कामदेवकी विचित्र महियाका पार नहीं।
आपके जोश-अजीव कामोंका बखान ज़बानसे कोन कर सकता है ?निरोग, रोग-रहित, बलवान और वीर्यवान को ही स्त्री अच्छी मालूम होती है। इसलिये जो लोग संसारके सार सुख ‘सुरत का आनन्द उठाना बाहे, उन्हें सदा निरोग रहेनेके उपाय करने चाहिये।
लेखक | हरिदास वैद्य-Haridas Vaidhya |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 544 |
Pdf साइज़ | 152.3 MB |
Category | Religious |
राजा भरथरी श्रृंगार शतक – Shringar Shatak Book/Pustak PDF Free Download
आपका आभार व्यक्त करती हूँ |
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