राजस्थान का इतिहास – Rajasthan Ka Itihas Madhya yug PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
महोबा विजय और दिग्विजय का प्रथम सोपान-न प्रारम्भिक दिनमी के अनन्तर पृथ्वीरान अपनी दिगिवय की योजना को साकार करने का।
भमानको की विजय ने पृथ्वीराज के राज्य की सीमा की बन्देलो के राज्य की सीमा से मिला दिया था।
इस राज्य के अन्तर्गत बल भूमि भान मा जिसने बुन्देलखण्ड, नाकमुक्ति महोबा आदि सम्मिलित थे ।
बताया जाता कि वर पृथ्वीराज समेता में दिल्ली लौट रहा था कि उसके कुछ जस्मी सिपाहियों की चन्देशराज ने मरवा दिया।
सैनिको की हत्या का बदला लेना उसके लिए आवश्यक हो गया । इस समय महोबा राज्य की स्थिति सन्तोषजनक नहीं थी। परमारदी ने जो राज्य का शासक था, आल्हा और उदल नामक दो सेनानायको को पुरु समय पूर्व अपने राज्य से निकाल दिया था।
इन दोनों ने अपने स्वामी से बसन्दुष्ट होकर कोज दरबार में पहुंचकर शरण ले ली । इस स्थिति ने बन्देलो की सैनिक दुरक्षा व्यवस्था को मस्त-व्यस्त कर दिया । अवसर को उपयुक्त समझकर पृथ्वीराज एक विशाल सेना लेकर महोबा विजय के लिए निकल पटा।
उसने सर्वप्रथम हिरवा को बलात् छीन लिया जो सिन्धु की सहायक नदी पाहून के तट पर या । इस विजय के यह महोबा की सीमा के निकट पहुंच गया ।
शिनपात की खरतरगग्ड पडावती से प्रतीत होता है
कि ११५२ ई० मे पृथ्वीरान की सेनामओ ने नरानयन के स्थान पर अपने हो डाले मोर यहाँ से माये बढकर उन्होंने चन्देत राज्य की बस्ती को खूटना औौर नष्ट करना भारम्भ स्मिा। इस स्थिति से परमारदौदेव बढा भयभीत हो गया ।
इसने को् है अपने पुराने सेनानायक माहा और उदन को सैन्ध-बल से राज्य की रक्षा के लिए तोटे आने को पहलमा भेजा। पहले तो अपमानित सेनानियो को प्रतिक्यिा परमारती के विष्ट हुई, परन्तु राम की दयनीय दशा को समझकर उन्हे
लेखक | डॉ। गोपी नाथ-Dr Gopi Nath |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 726 |
Pdf साइज़ | 27.1 MB |
Category | इतिहास(History) |
राजस्थान का इतिहास मध्य युग – Rajasthan Ka Itihas Madhya Yug Book/Pustak Pdf Free Download