मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास – Rajasthan Ka Itihas Madhya yug PDF Free Download
इतिहास की विषय सूची
[राजस्थान का ऐतिहासिक भूगोल और उसका जनजीवन पर प्रभाव – नाम, पर्वतीय प्रदेश, पठार, मैदान, रेगिस्तान, नदियो की स्थिति, जलवायु और वनस्पति, पूर्व मध्यकालीन राजस्थान के ऐतिहासिक साधन- पुरातत्त्व सम्बन्धी-स्मारक, अभिलेख, मुद्रा, इतिहासपरक साहित्य ।]
राजपूत राज्यो के उदय के पूर्व प्राचीन राजत्यान
[राजस्थान और प्रस्तर युग, प्रस्तर घातु युग और राजस्थान, कालीवगा, आघाटपुर या नाहड, राजस्थान बोर जनपद युग (३०० ई० पू० से ३०० ई०), राजस्थान-गुप्तकाल से हूण आक्रमण तक (३००-६०० १०) – शासन-व्यवस्था, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, धार्मिक प्रगति, मूति- कला और वास्तुकला, शिक्षा का प्रसार।]
गुहिलों का अभ्युदय (७वीं से १२वीं शताब्दी तक)
[गुहिलवश की प्राचीनता, गुहिलो की उत्पत्ति, गुहिलो का राजस्थान मे विस्तार, कल्याणपुर के गुहिल, चाटसू के गुहिल, मालवा के गुहिल, वागड के गुहिल, घोड के गुहिल, काठियावाड और मारवाड के गुहिल, मेवाड के गुहिलो का उत्थान, गुहिलो के उत्तराधिकारी, बापा की ऐतिहा- सिकता-कल्पित कथाएँ, वापा नाम अथवा विरुद, समय, सिक्का, मृत्यु, मूल्याकन, गुहिलवशीय अन्य शासक, शिलादित्य, अपराजित, कालभोज, खुम्माण प्रथम, मेवाड का पराभव काल, मेवाड का पुन शक्ति-सगठन, भर्तृ भट्ट द्वितीय, बल्लट, नरवाहन, मेवाड का ह्रासकाल (६६७- ११७४ ई०) ।]
मध्यकालीन इतिहास को सामग्री (१२वीं से १८वीं शताब्दी) १२६-१५
[पुरातत्त्व सम्बन्धी सामग्री-अभिलेख-चोरवे का शिलालेख, रसिया की छत्री का शिलालेख, चित्तौड के पाश्वनाय के मन्दिर का लेस, आबू का लेख, गम्भीरी नदी के पुल का लेख, श्रृंगी ऋषि का शिलालेख, समिवेश्वर मन्दिर का शिलालेख, देलवाडा का शिलालेस, राणकपुर प्रशस्ति का लेख, कुम्भलगढ का शिलालेख, कीतिस्तम्भ प्रशस्ति, रायसिंह की प्रशस्ति, जगन्नाथराय का शिलालेख, राजप्रशस्ति, हिम्मतराम के मन्दिर का लेख, सिक्के, इमारतें, मूर्तिकला, ऐतिहासिक साहित्य और साधन सम्बन्धी सामग्री-इतिहासपरक साहित्य, समसामयिक ऐति- हासिक साहित्य – सस्कृत-पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महाकाव्य, राज- वल्लभ, भट्टिकाव्य, राजविनोद, एकलिंगमहात्म्य, कर्मचन्द वशोत्कीर्तन- ककाव्यम्, अमरसार, अमरकाव्य वशावली, राज रत्नाकर, अजितोदय, ऐतिहासिक साहित्य – राजस्थानी–कान्हडदे प्रवन्ध, राव जैतसी रो छन्द, वेलि क्रिसन रुकमणी री, गुण भाषा, गुणरूपक, राजरूपक, सूरजप्रकाश, वशभास्कर, ऐतिहासिक साहित्य-ख्याते, वात आदि, ऐतिहासिक साहित्य-पुरालेख, ऐतिहासिक सामग्री, फारसी, चित्र और चित्रित ग्रन्थ ।]
जोधपुर का राठौड वश तथा समन्वय ओर सघर्ष के उतार-चढाव (१५८१-१७२४ ई०)
[महाराजा सूरसिंह (१५१५-१६१६ ई०), महाराजा गजसिंह (१६१६- १६३८), महाराजा जसवन्तसिह प्रथम (१६३८-१६७८ ई०) – जसवन्तसिंह और उत्तराधिकार का युद्ध, जसवन्तसिंह का जोधपुर जाना, जसवन्तसिंह की हार के कारण, धर्मत के युद्ध का महत्त्व, जसवन्तसिंह की आगे की गतिविधि, जसवन्तसिंह और मराठे, जसवन्तसिंह की पश्चिमोत्तर भाग मे नियुक्ति और मृत्यु, महाराजा जसवन्तसिंह का व्यक्तित्व, अजीतसिंह (१६७८-१७२४ ई०) – अजीतसिंह के लिए प्रयत्न, राठौडो का अन्तिम निर्णय, अजीतसिंह को वचाने के लिए युद्ध, सीसोदिया-राठौड सघ, मेवाड मे युद्ध की घटनाएँ, मारवाड मे युद्ध की घटनाएँ, पुन मेवाड की घटनाएँ, औरगजेब के प्रयत्नो से अकबर की विफलता, मेवाड से सन्धि (१४ जून, १६८१ ई०), मुगल-मारवाड सघर्ष, अजीतसिंह और पिछले मुगल शासक, महाराजा की हत्या, अजीर्तासह का चरित्र, दुर्गादास का चरित्र और व्यक्तित्व ।]
लेखक | डॉ। गोपी नाथ-Dr Gopi Nath |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 726 |
Pdf साइज़ | 27.1 MB |
Category | इतिहास(History) |
राजस्थान का इतिहास मध्य युग – Rajasthan Ka Itihas Madhya Yug Pdf Free Download