रामायण के सभी पात्रों का वर्णन | All Characters of Ramayana List PDF

’44 Ramayana Characters Name’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘रामायण के सभी पात्र’ using the download button.

रामायण के सभी पात्रों का वर्णन – Description of all characters of Ramayana Pdf Free Download

रामायण के पात्र

  • १. विभीषणका प्रस्ताव
  • २. श्रीरामका आग्रह
  • ३. व्यस्त विभीषण
  • ४. महारानी मन्दोदरी
  • ५. शीलमयी सरमा
  • ६. त्रिजटा
  • ७. करुणामयी
  • ८. पुष्पक
  • ६. श्रीरामका विनोद
  • १०. विसैन्यीकरण
  • ११. सहचर
  • १२. माल्पवन्त
  • १३ प्रस्थान
  • १४. युद्ध-स्थली
  • १५. सेतु-मङ्ग
  • १६. रामेश्वर
  • १७. किष्किधा
  • १८. तारा
  • १६. रुमा
  • २०. आशीर्वाद
  • २१. माता अञ्जना
  • २२. महवि अगम्त्य
  • २३. पञ्चवटी
  • २४. महामुनि सुतीक्ष्ण
  • २५. अनि आश्रम
  • २६ चित्रकूट
  • ३०. सन्देश
  • ३१. भरद्वाजाश्रम
  • ३२. पवनकुमार आये
  • ३३. शवृङ्गवैरपुर
  • ३४. अयोध्याके आकाशमें
  • ३५. कैकय नरेश
  • ३६. दक्षिण कोसल
  • ३७. महाराज सुमित्र
  • ३८. महाराज जनक
  • ३६. महर्षि याज्ञवल्क्य
  • ४०. महारानी सुनयना
  • ४१. कुमार लक्ष्मीनिधि
  • ४२. बहिन शान्ता
  • ४३. ब्रह्मर्षि विश्वामित्र
  • ४४. महर्षि भरद्वाज
  • ४५. निषादराज
  • ४६. भगवान शिव
  • ४७. सृष्टिकर्ता
  • ४८. देवराज
  • ४६. प्रचेता
  • ५०. कुबेर
  • ५१. यम

४. महारानी मन्दोदरी

मैं किस मुबसे प्रार्थना करती कि राज- सदन बड़ी चरणों से पवित्र हो । मय- तनयाने जैसे ही सुना कि प्रभु अपोध्या प्रस्थान करनेवाले हैं, उन्होंने व्यवस्थाकी श्रीवैदेहीके समीप पहुंचनेकी और उन मुबन-बन्द्याके पावन पदोंमें प्रणत होने

पश्चात् भूमिमें ही बैठ गयी थीं-मैं इतनी ही प्रार्थना करती हूँ कि इस किकरीको आप क्षमा कर देगी । ‘आर्यपुत्र अवध पहुंचनेकी त्वरा है महारानी !! श्रीमैथिलीने अल्यम्त स कोच पूर्ण कहा-‘ज्ञमा तो मुझे मांगनी चाहिये ।

यह बन-बासिनी आपको यहाँ तृणासन देने में भी असमर्थ है’ ‘लंका का सिंहासन जिनके अ-मजसे प्रदत्त बन गया । मन्दोदरी खिन्न हो उठी थीं-‘उन सर्वेदवरकी सहयमिणोके लिए यह, विनय उपमुक्त ही है ।

मन्दोदरीका अभाग्य यही है कि वह आज भी महारानी ही है । इन चरणोंमें दासीके रूपमें उसे स्वीकृति नहीं मिली । इस स्वर्ण-भूमिमें जगन्माताको जो क्लेश मिला, जो अपमान सहना पड़ा, उसमें यह हतमागिनी गी कम अपराधिनी नहीं है।’

‘तुम अकारण दुःखी होती हो सखी !’ श्रीवैदेहीके नेत्र सजल हुए-‘मैं इस वेदनाको किसी प्रकार विस्मृत नहीं कर सकती कि इस पैभवमयी आमोदपूर्ण नगरीमें सोता कालरात्रि बन कर आयी ।

यह क्र. र कपाल लेकर यहाँ न आयी होती, लंकाको ये दिन क्यों देखने पड़ते ।’ ‘दयामयो अनन्त करण-वरुणालयके उपयुक्त हैं ये उद्भार देवि ! मन्दोदरीने पुनः चरणों पर मस्तक रखा-मैं जो हो चुका, उसके लिए खेद नहीं करती ।

असत्य पथ- को अपना कर कोई कहीं मुबाली रह जाय, सृष्टाकी सृष्टिका विषान ही अस्त- व्यस्त हो जायगा । आप-सी महिमामयी जहाँ उत्पीड़ित हुई, वहाँ आज भी जीवन है, आमोव है, प्रभुका अनुग्रह अपार न होता लंका इस योग्य कहां

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 219
Pdf साइज़354 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

Related PDF

गीत रामायण PDF

Jain Ramayana PDF

रामायण के सभी पात्रों का वर्णन – Ramayana All Character List Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!