बटुक भैरव स्तोत्र | Batuk Bhairav Stotra PDF In Hindi (Sanskrit)

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बटुक भैरव स्तोत्र – Batuk Bhairav Stotra PDF Free Download

बटुक भैरव स्तोत्र – Batuk Bhairav Stotra With Lyrics

भैरव ध्यान

वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम्।
दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नूपुराढ्यैः॥
दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्नं त्रि-नेत्रम्।
हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं,       शूल   –  दण्डौ दधानम्॥

बटुक भैरव स्तोत्र

यं यं यं यक्ष रूपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं।
सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।1।।

रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम्।
घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम्।।
कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं।
दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।2।।

लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं।
धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम्।।
रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम्।
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।3।।

वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम्।
खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्।।
चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम्।
मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।4।।

खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालांधकारम्।
क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन नेत्र संदिप्यमानम्।।
हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहनगर्जित भूमिकम्पं।
बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।5।।

ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पांत दहन प्रभो!
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातु महर्षि!!

मानसिक पूजन करे

      ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः।
ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये निवेदयामि नमः।
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

क्षमाप्रार्थना

आवाहन न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर॥
मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वर।
मया यत्-पूजितं देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥

भैरव को शिव का रुद्र अवतार माना गया है ! तंत्र साधना में भी भैरव के आठ रूप अधिक प्रचलित हैं:

  • १. भैरव को स्वीकार करना,
  • २. रु-रु भैरव,
  • ३. चांद भैरव,
  • ४. क्रोधोन्मत्त भैरव,
  • ५. भयंकर भैरव,
  • ६. कपाली भैरव,
  • ७. भैरव और
  • 8. भैरव

आदि शंकराचार्य ने ‘प्रपंच-सारा’ प्रणाली में अष्ट-भैरव के नाम भी लिखे हैं। तंत्र शास्त्र में भी इनका उल्लेख मिलता है। इसके अलावा सप्तविशांति रहस्य में सात भैरव हैं। इस ग्रंथ में दस वीर-भैरवों का भी उल्लेख मिलता है।

इसमें तीन बटुक-भैरव का उल्लेख है। रुद्रयामाला पद्धति में ६४ भैरवों के नामों का उल्लेख मिलता है !

बटुक भैरव स्तोत्र के फायदे (Benefits)

  • बटुक भैरव स्तोत्र के पाठ से निश्चित रूप से आपके सभी कार्य सफल मिलेगी ,
  • व्यवसाय और जीवन में पूर्ण सफलता,
  • परेशानियाँ दूर हों जायेगी ,
  • शत्रु पर विजय प्राप्त होगी ,
  • आपको अपने व्यवसाय में समृद्धि मिलेगी,
  • मार्ग से बाधाएँ हट जाएँगी ,
  • अदालत के चक्करों से छुटकारा भी मिल जायेगा !
  • बटुक भैरव के स्तोत्र से व्यक्ति अपने जीवन में सांसारिक बाधाओं को दूर कर सांसारिकजीवन में लाभ उठा सकता है !

पठन विधि

  • स्नान आदि कर लें , एवं मन को साफ रखें !
  • घर को एवं मंदिर को अछे से साफ कर लें !
  • ये सारा प्रक्रिया करने के बाद भैरव देव को ध्यान करते हुए प्रणाम करें !
  • स्तोत्र का पाठ शुरू करें !
  • पाठ ख़त्म होने के बाद भोग लगायें !
  • तत्पश्चात सभी को प्रसाद बाटे !
लेखक शंकराचार्य-Shankaracharya
भाषा हिन्दी, संस्कृत
कुल पृष्ठ 7
PDF साइज़1 MB
CategoryReligious

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