अपने और सपने – Apne Aur Sapne Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
चम्पारन के कथिों गीतकारों को ने सभी ल्वितियो सहै, जो रत गीतों और कविताओं की संरबना के लिए । बें परिल्वितियां औ शामने है ी विवय करती हैं चित्र और संघर्ष के लिए
इस सन्यर्म का] आारण्न] कृव] गगेव गाठ्यक (पटखौली) से करने दिया जाय । गणेश पाजामे एक मौन साधक का जीवन जीत हुए लम्बी कास्य यात्रा को है ।
भाषों और काव्य- शिक्षा की हष्टि मे गरणन पाटक अलग देखते हैं एक छन्द प्रस्तुत है “वैभव के बन्धन में मत बाँधों कवियों को बे नीक गगन के पनछी हैं,
उड़ जाने दो ; मत बांधो उनकी गति सोने की डोरी से तिनकों से अपना प्यारा महल सजाने दो !गणेश पाठक ने कल्पनाओं के तिनके से जो बालीशान महल बनाया,
उसे एन्बोनी दीपक ( रामनगर ) ने मधुर अनुमतियों, नवे विचारों के संवारने का प्रयास किया ।एन्योनी ‘दीपक’ की रचनाओं के दो संग्रह ‘परिचय’ और ‘दीपक के गीत’ प्रकाशित ।
तुम चाह रहे धरती पर स्वर्ग उतर जाए.मैं चाह रहा धरती ही सजे संवर जाए। कण-कण का रूप निखर जाए । सुषमा की रानी नित करती अठलेली है, नन्दन कानन की घटा बड़ी अलबेली है।
होरे मोती हैं खिले कल्प को डाली में सपनों का यह जग सुन्दर एक पहेली है । एन्थोनी ‘दीपक’ ने कई विधाबों में रचना की है। दीपक ने एक खण्ड-काव्य ‘ताज’ (अप्रकाशित) लिखा और अपनी खुली चों ताजमहल को देखने का प्रयास किया।
पाण्डेय जाशुतोष (ज० १९३६, गलकौसी बगहा ) ने नये संकल्प, नए परिवेश के साथ काम्य की कई नई विधाजों को बपनी सशक्त रचनानों से अलंकृत किया। इस प्रकार कभी पौष की बारती उतारी, कभी
लेखक | रमेशचंद्र झा-Rameshchandra Jha |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 6 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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