जागरण के गीत लहु के छन्द – Jagran Ke Geet Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
गौतम को गोली देने वाले ! क्या बड़ी क्या है ? बचो तुम्हारी गाँवों में क्या कर भी नहीं लगा है। तो सुन लो हर बूँद खून की जगह कर सोल रही है हर भारतवासी की भुजा जवाना तोल रही है,
हो गया जिस के इतिहास सूर्य औ चौद मित रे- उस भारत को भला आज नादान चीन ललकारे १भो सिब्बत के लूँ से अपने हाथ रंगने बाली । पचशान पर, मानवता पर दाग लगाने वालों!
आनेवाला समय नहीं गफलत में भी चूकेगा!निश्चय सारा विश्व एक दिन तुम पर ही थूकेगा ! भोख मांगकर खाता रहा एक दिन जिसके द्वारे उस भारत को मना आज नादान चीन ललकारे।
जब रह जाता नहीं देश में अन्नवस्व का संबल नो यह युद्ध निमन्त्रण देना भी शायद है कौशल शर्म करो, बेशर्म चीन ! यह होरा युद्ध-निमत्र जगा चुका है आज विश्व को, जाग चुका है
कयाक जिसके सारे काम नेहरू बन खुद कृष्ण सम्हारे उस भारत को भना आज नावान चीन ननकारे ?आज राष्ट्र को नस-नस में जागी फिर से तरुणाई। सावधान हो जाओ फिर बलिदानी बेला आई ॥
हर मुस्लिम का फज बाज है नेक बहादुरशाह बने, आज जरूरत उस सौदागर की जो भामाशाह बने, ऐसी बात न निकले मुख से जो बाहर अफवाह बने, निकल आह अगर भीतर से भारत मां की आह बने, सरहद से मारत मां ने सबको- आवाज लगाई !
सावधान हो जाओ, यह बलिदानी बेला आई ॥माताओं से कह दो, वह फिर बीर भरत इम्मीर जने मजदूरों से कह दो, उनके घर गोली शमशीर बने हर सैनिक से कह दो अब वह भारत की तकदीर बने,
लेखक | गणेश विशारद-Ganesh Visharad दिनेश भ्रमर-Dinesh Bhramar पांडे आशुतोष-Pandey Ashutosh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 18 |
Pdf साइज़ | 1.7 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
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