अग्नि की उड़ान | Agni Ki Udaan (Wings Of Fire In Hindi) PDF

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अग्नि की उड़ान – Agni Ki Udaan PDF Free Download

अग्नि  की उड़ान | Agni Ki Udaan (Wings of Fire In Hindi)

डॉ अब्दुल कलाम की जीवन कथा

मेरा जन्म मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) के रामेश्वरम् कस्बे में एक मध्यम वर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। मेरे पिता जैनुलावदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और न ही ये कोई बहुत धनी व्यक्ति थे।

इसके बावजूद वे बुद्धिमान थे और उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। मेरी माँ, आशियच्या, उनकी आदर्श जीवनसंगिनी थीं मुझे याद नहीं है कि वे रोजाना कितने लोगों को खाना खिलाती थीं;

लेकिन मैं यह पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि हमारे सामूहिक परिवार में जितने लोग थे, उससे कहीं ज्यादा लोग हमारे यहाँ भोजन करते थे।

मेरे माता-पिता को हमारे समाज में एक आदर्श दंपती के रूप में देखा जाता था। मेरी माँ के खानदान का बड़ा सम्मान था और उनके एक वंशज को अंग्रेजों ने ‘बहादुर’ की पदवी भी दे डाली थी।

मैं कई बच्चों में से एक था, लंबे-चौड़े व सुंदर माता-पिता का छोटी कद काठी का साधारण सा दिखनेवाला बच्चा हम लोग अपने पुश्तैनी घर में रहते थे।

यह घर उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में बना था। रामेश्वरम् की मसजिदवाली गली में बना यह घर चूने पत्थर व ईंट से बना पक्का और बड़ा था।

मेरे पिता आडंबरहीम व्यक्ति थे और सभी अनावश्यक एवं ऐशो-आरामवाली चीजों से दूर रहते थे।

पर घर में सभी आवश्यक चीजें समुचित मात्रा में सुलभता से उपलब्ध थीं। वास्तव में, मैं कहूंगा कि मेरा बचपन बहुत-से निश्चितता और सादेपन में बीता- भौतिक एवं भावनात्मक दोनों ही तरह से।

मैं प्रायः अपनी माँ के साथ ही रसोई में नीचे बैठकर खाना खाया करता था|

वे मेरे सामने केले का पत्ता बिछाती और फिर उसपर चावल एवं सुगंधित, स्वादिष्ट साँभर देतीं साथ में घर का बना अचार और नारियल की ताजा चटनी भी होती|

प्रतिष्ठित शिव मंदिर, जिसके कारण रामेश्वरम् प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, का हमारे घर से दस मिनट का पैदल रास्ता था।

बात उस समय की है जब में चौथी ‘फॉर्म’ में था। सारी कक्षाएँ स्कूल के अहाते में अलग-अलग झुंडों के रूप में लगा करती थीं। एक दिन मेरे गणित के शिक्षक रामकृष्ण अय्यर एक दूसरी कक्षा को पढ़ा रहे थे। अनजाने में ही मैं उस कक्षा से होकर निकल गया।

तुरंत ही एक प्राचीन परंपरावाले तानाशाह गुरु की तरह रामकृष्ण अय्यर ने मुझे गरदन से पकड़ा और भरी कक्षा के सामने मुझे बेंत लगाए।

कई महीनों बाद जब गणित में मेरे नंबर आए तब रामकृष्ण अय्यर ने की सुबह की प्रार्थना में सबके सामने यह घटना सुनाई ‘मैं जिसकी बेंत से करता हूँ वह एक महान् व्यक्ति बनता है।

मेरे शब्द याद रखिए, यह छात्र विद्यालय और अपने शिक्षकों का गौरव बनने जा रहा है।’ उनके द्वारा की गई यह प्रशंसा क्या एक भविष्यवाणी थी ?

श्वार्ट्ज हाई स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद मैं सफलता हासिल करने के प्रति आत्मविश्वास से सराबोर छात्र था। मैंने एक क्षण भी सोचे बिना और आगे पढ़ाई करने का फैसला कर लिया। उन दिनों हमें व्यावसायिक शिक्षा की संभावनाओं के बारे में कोई जानकारी तो थी नहीं।

उच्च शिक्षा का सीधा सा अर्थ कॉलेज जाना समझा जाता था। सबसे नजदीक कॉलेज तिरुचिरापल्ली में था। उन दिनों इसे ‘तिरिचनोपोली’ कहा जाता था और संक्षेप में ‘त्रिची’।

सन् 1950 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए मैंने त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज दाखिला ले लिया। परीक्षाओं में डिवीजन लाने की दृष्टि से तो मैं कोई होशियार छात्र था नहीं, लेकिन रामेश्वरम् के अपने उन दो ‘उस्तादों’ – जलालुद्दीन व शम्सुद्दीन—का मैं शुक्रिया अदा करता हूँ, जिनसे मैंने जो व्यावहारिक ज्ञान हासिल किया उसने मुझे कभी नीचा नहीं देखने दिया।

जब कभी भी मैं त्रिची से रामेश्वरम् लौटता तो मेरे बड़े भाई मुस्तफा कलाम, रेलवे स्टेशन रोड पर एक परचून की दुकान चलाते थे, मुझसे थोड़ी-बहुत मदद लेते थे और कुछ-कुछ घंटों के लिए दुकान को मेरे जिम्मे छोड़ जाते थे।

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लेखक अब्दुल कलाम-APJ Abdul kalam
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 112
Pdf साइज़6.9 MB , 5.7 MB
Categoryआत्मकथा(Biography)

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