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प्रदोष व्रत कथा और पूजा विधि – Pradosh Vrat Katha And Pooja Vidhi PDF Free Download
सोम प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी।
उसके पति का स्वर्गवास हो गया था।
उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी।
वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।
एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला।
ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था।
शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था।
राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई।
अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई।
उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया।
कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए।
वैसा ही किया गया।
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी।
प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा।
राजकुमार ने ब्राह्मण- पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया।
मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 4 |
PDF साइज़ | 1 MB |
Category | Book |
Source/Credits | pdffile.co.in |
प्रदोष व्रत कथा और पूजा विधि – Pradosh Vrat Katha And Pooja Vidhi PDF Free Download