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श्राद्ध विधि – Shradh Vidhi PDF Free Download
श्राद्ध विधि पुस्तक
चंपा देवता एम कड़ी वरने अने कन्याने जाये शोजानो समदायज होगी। एवा तिबकाकना कुंजमा परखाववाने ्ये हर्पची खा गया. चकेश्वरी देवी रूप फेरवी कीम खा ज मूवी ठेडा सुची सर्वश्रेष्ठ रचात प्रथमचीज जाखोहतो.
पड़ी ते चक्ररी बेगयी पवनने पण जीते एवा अतिशय म्होटा विमानमां पखा हुपेची वेठी. ते विमा- म रखोगे होली घंटा की टंकार शब्द करतुं इतुं,
रलमय शोजती সषरींवडे शब्द करनारी सेंकडो च्वजाउं ते विमानने विषे फरकती हती, मनोहर माणिक्य रक्नोवडे जडेखा तारखेची तेने पी शोजा यावी हत्ती, नृत्य, गाना,
अने वाहिँचना शब्दची ते विमाननी पूतली जाणे वोखतीज होयनी! एवो जाते पतो हतो. पार विनानी पारिजात विगेरे पुप्पोनी माला तेमां तेका वेकाणे टंगायसी इती, हार,
अर्थ हार विगेरे एक उत्तम शोजा तेने आशी ही, सुंदर चामरो तेने विपे उठजतां हतां, तेनी रचनामां सर्व प्रकारनां मणिरमो ्यवेजां होवार्थी ते पोताना प्रकाश थी साहा सूर्यमंगलनी पेठे निबिड अंधार पण कापी नांखतुं हुतुं.
एवा विमानमा चक्रेश्वरी देवी बेठी, स्यारे वीजी तेनी बराबरीनी पणी देवी पोत पोताना विविध प्रकारना विमान वेसी तेनी साथे चालवा खागी,
अने वीजा घणा देवताओं तेनी सेवामा त स्पर रह्या, श्या रीते चकेश्वरी नेही तिलक वृकना कुंजमां तथापि पढ़ोथी. घर तथा कन्या गोत्रदेवीनी पेठे तेने नम्या.
स्यारे तेणे (पकेश्वरीए) पति पुत्र से वृक्ष स्त्री जेम था शिप आपे ठे, कम करने तथा कन्याने श्री माते व्याशीप आपी. *डे बधूवार ! तमे हमेशा प्लासिची साथे रहो,
आने चिरकाल सुख जोगवा. पुत्र पीत्रा संतती बजे तमारो जगतमा उत्कर्ष चार्पढ़ी उचित थ्याचरण करवाला चतुर एवी चकेश्वरी देवी पोते –
प्रेशर था चोरी प्रमुख सर्व चांदनी पकेश्वरीए कां, ते कन्या बने कुमारनो पुण्वनो उदप अुत के. पली चक्रेश्वरी देवी वीजु सौधर्म अवतंसक विमान होयनी!
- नियम लेवानो विधि.
- नियम लेवा उपर कमलश्रेष्ठीनुं दृष्टांत. ४ सचित्त, अचित्त, अने मिश्र वस्तुनुं स्वरूप.
- शस्त्रना संबंध विना लवणादिक वस्तु अचित्त शी रीते थाय बे
- धान्यना बीजपणानो काल.
- लोटनो सचित्त चित्तपणानो काल.
- पक्वान्न विगेरेनो कालो अनदय वस्तुनुं ने विदलनुं स्वरूप.
- एउष्ण पाणीनुं स्वरूप.
- चोखाना धोवणनुं स्वरूप अनेनो काल.
- नित्रोदकनुं स्वरूप.
- श्रचित्त पाणीनो काल.
- सचित्त वस्तुना त्याग उपर यंबक परिव्राजकना शिष्योनुं दृष्टांत
- चौद प्रकारना नियमनुं स्वरूप.
- ए नवकारशी तथा गंठसहि पञ्चरकाणनुं स्वरूप अने तेनुं फल.
- चार प्रकारना श्राहारतुं स्वरूप.
- अनाहार वस्तुनुं स्वरूप.
- पच्चरकाणने विषे श्राहारना नेद.
ग्रंथनी अंदर मागधी विषय बहु कठण हतो, माटे बीजा साधारण शास्त्रीने जाषांतरनुं काम नहिं सोंपतां मुनिवर्य श्री १०७ मोहनलालजी महाराजना शास्री दामोदराचायने सोंपवामां आद्यु हतु.
तेमणे त्रण मूल प्रतो तथा एक टबावाल्ली प्रत एम चार प्रतो पासे राखी आ यंथलु साषांतर करूं के. तेमां जेंजे स्थक्षे मागधी ज़ाषानो विषय आद्यो छे, ते ते स्थक्ले तेमणे स्पष्टार्थ करी पत्चानी खरी विघचत्ता दर्शावी आपी बे.
ठेवट अमारा साधमि जाएडंने गा करवामां आवे ढे के, तेड॑ सोनेरी अक्रवाला पुंठां देखी खुशी!थाय ले अने अमने पण तेवां पुंठां कराववानी वारंवार जलामण करे हे के “अमुक माणस तरफथी ढपायक्ली चोपडीजेनां पुंठां सोनेरी अक्वरनाश्याय के तेथी तमे पण तेवां पुंठां करो;
कारण “रंग राजा अने पोत प्रधान: एटले लखाए अथवा कागल गमे तेवा होय, पण पुंठु सारुं करुठ एटले चोपडी नपकादार बनी गछ ” अरे! आ तेमनु केवुं श्ज्ञान ! ! परंतु ते बिचारानो दोष नथी; कारण तेज जाणता नथी के, सोनेरी अक्तरो करवामां शुं पदार्थ आवे के ? तेथी तेडे सारुं सारुं कह्मा करे बे.
अमारे आ वखते सोनेरी अक्करो माटे थ॒रतुं महा पाप प्रगट करबु जोइए के, तेथी सोनेरी अक्वरवाली चोपडीना डपरथी तेमनो मोह दूर थ४ जाय- दयाधमंधारी ज्ञाइडं !
जे वखत सोनेरी वरक पुंठाना अक्कर जपर दवाववो पढे के तेना पहेला सरघडाना इंडानो रस ते दावेज्ला अक्वरो उपर चोपडवो पडे दे अने एज कारण माटे हजारो मरघडाना एंडांनी हिंसा करवी पडे के.
एक इंडाने फोडी नांखवाथी महा जीवहिंसानुं पाप लागे ठे, तो हजारो छंडाने माठे तो कह्ेवुंज झुं ? तेने माटे सोनेरी पुंठाना रसीया पुरुषो पोतानी मेल्लेज विचार करशे.
अमे आशा राखीए ठीए के हवे पढी को सोनेरी पुंठाना रसिया नहिं थाय, आर वन्ने मंथना मूलमां तथा ज्ञाषांतरमां जे कोप जिनाका विरुझ लखाण आदी गयुं ढोय अथवा प्रेससंबंधी को ज्ूल्यो थइहोय तो चतुर्त्िध श्रीसंघनी साखे तस्समित्ना मिझकड़,
लेखक | अज्ञात – Unknown |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 508 |
Pdf साइज़ | 38.5 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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