श्री शंभु गीता | Shri Shambhu Gita Book/Pustak Pdf Free Download
श्री शंभु गीता
भीभारतपम्मं मदामएटल प्रधान कार्यालय काशी थामक शांसमका निभान मारा अब तक अप्रकाशित : गोसानों का हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन होकर हिन्दी साहित्य भएदार और साधही गाय सनातनधर्म ग्रन्धभण्डारको श्रीवृद्धि हुई है।
इससे पहले श्रीसंन्यास गीता सव प्रकारके संन्यास श्र साधुसम्पदायों के डिपे, सौप्य सम्प्रदाय के लिये श्रीसूर्यगीता, वैष्णमम्प्रदाय के लिये श्रीविष्णुगीता,
गाक्तसम्प्रदायके लिये पीशक्तिीता सम्थदायसे लिये भ्रीधीश्गीता और साधकों के लिये श्रीगुरुगोमा हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशित की गई हैं।
श्रय शैव सम्प्रदायक तिये यद श्रीशाम्मुगीता नैसी अच कभी प्रकाशित नहीं हुई थी हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशित की जाती है।
सर्वव्यापक, सर्वजीवहितकारी और पृथिवी के सब धर्मों के पिताप सनातन धम में निगुण और सगुग वपासनाम्प से प्रधान दो भेद हैं।
ययपि लीाविमह अर्थात् अयनार-पासना, शपि देवता पितृ-टपासना और समुद्र तामसिक शक्तियों फो छपासनाप में सनात न घर्षमें सव अ्रपिकारके उपापक्न्दके लिये र भो कई दृपासनाशैकियों का विम्मारित वर्णन पाया जाता है
परन्तु धीसाविप्रह उपासना अर्थात् अवतार उपासमा तो पत्र सगुण उपासना अन्तर्गत ही है।
श्रीषिदगुभगवान्, भरीमर्यमगवान्. भ्रोमगवती देवी, शरीपेशभावान् और प्रीसदा- शिव भावान्, इन पन्न मगुण उपास्य देवतायोंमें सबको दो अवतारों का वर्णन शामे पाया जाता है क्योंकि सगुण उपासना की पूर्ति लीलामय स्वरूप वो विना तपासत अनुभर नहीं कर सकता ।
अस्तु, सो्ावित्रहर्फी उपासना सगुण एपासनाकी पूर्णता के लिये ही होती है तथा अपि देव पिछृ -उपासना श्और [अंत्र] शुद्र उपासनाका अधिकार सकाम राज्ये ही निगुए उपासना में सर्व साधारणका अधिकार होही नहीं सकता।
निर्गुण उपा समा अस्प, भाषातीत, घाफू मन घर बुद्धिसे अगोचर प्रारमस्वरुपकी उपासना है।
निगु डपारसना केयल आत्मज्ञान-पाप्त तच्क्षानों महापुरुषों तथा नीवन्मुक्त संन्या- मियों के लिये ही व्पयोगी ममझी जासफवी है और केवस सगुण उपासनाही सब धणी के उत्तम वपासकवृन्दके खिये हित का्ग समझकर पूज्यपाद
लेखक | विवेकानंद-Vivekanand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 205 |
Pdf साइज़ | 7.2 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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