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सम्पूर्ण शिव स्तोत्र संग्रह – Shiv Stotravali Sanskrit With Hindi Meaning Pdf Free Download
स्तोत्रावली का अर्थ और संग्रह
शिवस्तोत्रावली’, जैसे कि इस के नाम से ही सूचित होता है, संस्कृत – स्तोत्र-साहित्य की एक ऐसी अनूठी पुस्तक है, जिस में भगवान् शंकर की स्तुति के गीत गाये गये हैं।
इस में अद्वैत-शैव- दर्शन के मूल सिद्धान्तों के आधार पर चरम सीमा को पहुंची हुई समावेश-मयी भक्ति की पूर्ण अभिव्यक्ति हुई है। या यों कहा जाय कि इन स्तोत्रों की पृष्ठ-भूमि या आधार-स्तम्भ शैव-शास्त्र के सिद्धान्त हैं।
इस के अध्ययन से मालूम होता है कि ग्रन्थकार अर्थात् आचार्य उत्पल देव जी पूर्ण सिद्ध और योगी तथा शैव-शास्त्र के मूल तत्त्वों के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक ( अर्थात् अनुभव सिद्ध ) दोनों, पक्षों या रूपों के पूर्ण ज्ञाता थे।
इस में उन्हों ने प्रकट रूप से लौकिक स्तोत्रों के रूप में समावेश-मयी भक्ति और उस की सफलता से मिलने वाले परमानन्द का ऐसा संजीव, सुन्दर तथा प्रभावोत्पादक चित्रण किया है कि यह ‘भक्ति-देवी’ नाटककार
भवभूति के शिखरिणी-पद्यों की तरह, मयूरी के समान हमारे सामने मानो सांगोपांग रूप धारण कर के नाच उठती है और हमें आनन्द-सागर में लावित कर डालती है।
यों तो सारे ग्रन्थ का विषय एक ही अर्थात् भगवान् शंकर की स्तुति है, किन्तु प्रत्येक स्तोत्र में वर्णन की शैली ऐसी विलक्षण, अनूठी तथा पहले की अपेक्षा नवीनता लिए हुए दिखाई देती है कि
सभी स्तोत्र अपने सीमित रूप में एक दूसरे से भिन्न-भिन्न प्रतीत होते हैं। इस प्रकार इस ग्रन्थ की रचना में कुशल स्तोत्र-कार ने अपनी योग्यता तथा प्रतिभा से एकता में अनेकता और अनेकता में एकता की झलक ऐसे ही प्रस्तुत की है,
जैसे भारतीय संस्कृति में एकता में अनेकता और अनेकता में एकता की झलक स्पष्ट रूप में दिखाई पड़ती है। ग्रन्थकार के वचनों में ऐसा चमत्कार और जादू भरा पड़ा है कि ग्रन्थ का विषय आध्यात्मिक तथा गृढ़ और
इसी लिए सामान्य पाठक के लिए कदाचित् नीरस होते हुए भी इस का अध्ययन साहित्य-रसिकों को उत्कृष्ट कविता के रसास्वादन का आनन्द प्रदान करने की पूरी क्षमता रखता है।
सच तो यह है कि आचार्य उत्पल देव जी की प्रतिभा सर्वतोमुखी है और इस ग्रन्थ के सीमित क्षेत्र में भी हमें उस की पूरी झलक मिलती है।
लेखक | उत्पलदेव आचार्य-Utpaladev Acharya |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 378 |
Pdf साइज़ | 18.8 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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