समाजशास्त्र विवेचना और परिप्रेक्ष्य – Sociology Vivechana Our Pariprekshya Book/Pustak Pdf Free Download
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पुस्तक का एक मशीनी अंश
समूहों के व्यक्तिगत व्यवहार पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन है । मकम बेबर ने] कहा है समाजशाम्ब “मानव मस्तिष्क की अन्त.क्रिया ओ’ का अध्ययन है।
गक्षेण मे हम कह सकते हैं कि समाजशास्त्र लोगों की अभिवृनियां व व्यवहार पर सामाजिक संबंधों के प्रभाव का अध्ययन करता है
इसके साथ ही समाज की रचना कैस हती है व उनमें बदलाव किस प्रकार आना है का भी अध्ययन करता है। एय मतत्यपूर्ण बात यह है कि समाजशाम्बी अफ्री व्यक्ति की अपेक्षा व्यक्तियों के मगृहा पर अध्ययन करते हैं।
व्यक्तियों के समूह में दो मित्र हो गफ है या एक परिवार के सदस्य या एक से अधिक राजनैतिक दलों के सदस्य हो गक्ते हैं, इगकी कार्ड गीमगा नहीं होती। इसका अर्थ यह नहीं है कि मगाजशाग्विया की व्यक्नि में ग्चि ही नहीं होती
उनकी रचि व्यक्तियों के सामाजिक संबंधों के पैटर्न में होती है। य अपना ध्यान ऐसे व्यक्तियों पर केन्द्रित करते हैं जो एक समाज, एक धर्म, एक जाति, एक वर्ग इत्यादि के सदस्य होते हैं तथा एक-दूसरे वी अभिवृत्तियों व व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
माइक ओडोनेल (Mike O’ Donell, 1997:2) के अनुसार यमाजशाम्य समुदायों का जिनका आकार एक छोटी सी जनजाति से लेकर सपूर्ण समाज हो सकताआज तो लोग “वैश्विक गमाज’ (Global Society) की बात करने लगे हैं व्यक्तियों के विभभिन्न आकार के समृरो को मिताकर समाज 3D बनता है।
समाजशास्त्र एक व्यक्ति व दृ्गरे व्यक्ति के बीच, व्यक्तियो व ममहों के बीच तथा विभिन्न समूहों के बीच अंत:क्रियाओं का अध्ययन करता है ।
व्यक्ति कुछ विशिष्ट समूहो अथवा ममाज को प्रभावित कर सकता है तथा यह उनमे प्रभावित भी हो सकता है।
यह भी कहा जाता है कि समाजशास्त्र व्यक्तिगत अनुभव व वा हरी घटनाओं के बीच के संबंधों की व्याख्या करता है।
वह व्यक्ति व गगाज के बीच संवर्धन की भी व्याख्या करता है। इसे स्पष्ट करने हेतु हम एक उदाहरण लेते हैं । एक विद्यालय को बन्द करना पडता है।
लेखक | Ram Ahuja, Mukesh Ahuja |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 447 |
Pdf साइज़ | 8.2 MB |
Category | विषय(Subject) |
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